उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में एक चौंका देने वाली प्रेम कहानी सामने आई है। गीता और गोपाल—दोनों शादीशुदा और कई बच्चों के माता-पिता, अचानक अपने-अपने परिवार को छोड़कर भाग निकले और शादी कर ली। इस सोशल मीडिया वायरल मामले की पूरी कहानी पढ़िए।
"हमें साथ जीना है…" और फिर छोड़ दिए बच्चों के सपने
सिद्धार्थनगर की इस कहानी में फिल्मी तड़का तो है ही, लेकिन दर्द और समाज के सवाल उससे भी ज्यादा गहरे हैं।
5 अप्रैल की सुबह थी। सब कुछ सामान्य लग रहा था। गीता रोज़ की तरह घर के कामों में लगी थी, लेकिन अंदर कुछ तूफान था, जिसका अंदाज़ा किसी को भी नहीं था। दोपहर तक वो घर से निकली और फिर... कभी वापस नहीं लौटी।
न गहने बचे, न भरोसा,बस रह गई एक फेसबुक पोस्ट
शाम तक जब गीता नहीं लौटी, तो पति श्रीचंद ने सोचा "शायद मायके गई होगी।" लेकिन जब मोबाइल स्विच ऑफ मिला और न मायके वालों को खबर थी, तब बेचैनी शुरू हुई।
तीन दिन बाद गांव में खलबली मच गई जब किसी ने श्रीचंद को दिखाया..फेसबुक पर वायरल हो रही शादी की तस्वीरें। उसमें गीता मंगलसूत्र पहने, मुस्कुराती हुई किसी और के साथ फेरे ले रही थी। और वो 'कोई और' था गोपाल पटवा—उसी गांव का, शादीशुदा, चार बच्चों का बाप।
दो अधूरी जिंदगियों ने मिलकर बनाया एक ‘नई’ शुरुआत का सपना
गीता..पांच बच्चों की मां, जिनमें सबसे बड़ी बेटी 19 साल की और सबसे छोटी केवल 5 साल की। एक समय था जब वह अपने परिवार के लिए दिन-रात एक कर देती थी।
गोपाल…चार बच्चों का पिता, जिसके कंधों पर पहले से ही घर की बड़ी ज़िम्मेदारी थी।
लेकिन फिर... शायद दिल ने दिमाग की नहीं सुनी। शायद मोहब्बत ने ज़िम्मेदारियों की दीवार लांघ ली। या फिर दोनों की ज़िंदगी में ऐसा खालीपन था जिसे सिर्फ एक-दूसरे की मौजूदगी भर सकती थी।
टूटे सपने, टूटी आवाज़ें: ‘वो बस जो गहने ले गई है, वो लौटा दे…’
श्रीचंद, जो पहले मुंबई में वड़ा पाव बेचकर बच्चों को पालने का सपना देख रहा था, अब गांव में मजदूरी कर रहा है।
बिना पत्नी के, अकेला बाप बनकर।
वो कहता है..... कि
"गीता चली गई, अब वो कभी लौटे न लौटे, पर जो पैसे और गहने ले गई है, बस वो लौटा दे… मेरे बच्चों की पढ़ाई रुक गई है।"शब्द कम हैं, भावनाएं गहरी। बेटियां खामोश हैं, बेटा हर आने-जाने वाले को देखता है कि शायद मां वापस आ जाए।
और सोशल मीडिया? उसने इस ‘गुपचुप’ शादी को बना दिया वायरल तमाशा
जिस शादी को दुनिया से छुपाया गया था, वही शादी फेसबुक की दीवार पर चस्पा हो गई। तस्वीरों में प्यार है, लेकिन पीछे छुपी कहानियों में छूटे हुए बचपन, रोती हुई बेटियां और अधूरी रोटियां हैं।
क्या यह प्यार है, या जिम्मेदारियों से भागने का बहाना?
समाज में इस घटना पर बहस छिड़ चुकी है, क्या दो जिम्मेदार मां-बाप का यूं बच्चों को छोड़ देना सही है? क्या मोहब्बत के लिए बच्चों की मासूमियत कुर्बान की जा सकती है?
यह खबर सिर्फ एक वायरल कहानी नहीं, एक सामाजिक आईना है। जिसमें मोहब्बत और मजबूरी, दोनों साथ नजर आते हैं।
आप क्या सोचते हैं? क्या ऐसी मोहब्बत माफ की जा सकती है?
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क्या नई शुरुआत करने का हक उन्हें है जो अधूरी जिम्मेदारियां छोड़ आए हों?
ये अछम्य पाप है, माफी नही दी जा सकती।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने
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