कौशांबी में दिल दहला देने वाला हत्याकांड सामने आया है, जहां एक युवक ने अपनी मामी को भगाने वाले मामा की बेरहमी से हत्या कर दी। मामला पंचायत, अपशब्दों और बदले की आग से भरा हुआ है।
"जब मामी मोहब्बत बन गई मौत की वजह, कौशांबी में रिश्तों का कत्ल!"
रात गहराई थी, आम के पेड़ खामोश थे और ज़मीन पर बिछी थी रिश्तों की लाश। ये कोई फ़िल्मी कहानी नहीं, हकीकत है! कौशांबी के संदीपनघाट थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर बजहा गांव की, जहां एक भांजे ने अपने मामा को सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वह अपनी मामी को भगाकर ले गया था।
मंडी नहीं, पंचायत थी, और पंचायत से पहले प्लानिंग।
मृतक छोटू उर्फ़ महेंद्र प्रजापति, अपने ही भांजे आकाश की नज़रों में खटकने लगा था। वजह? उसने अपने ही परिवार की इज़्जत को दांव पर लगाते हुए भतीजे की सगी मामी को भगाकर ले गया था। मामला पंचायत तक पहुंचा, जहां छोटू ने आकाश को अपशब्द कह दिए, और वहीं उसके लिए मौत का एलान हो गया।
रात में शराब, लोडर और कत्ल की साजिश
10 और 11 अप्रैल की दरम्यानी रात, तीनों आरोपी आकाश, उसका चचेरा भाई रोहित और दोस्त विजय भारतीया एक लोडर वाहन में छोटू को बिठाकर आम के बाग में ले गए। पहले शराब पिलाई गई, फिर पेड़ के नीचे बुलाकर गले में रस्सी डाली गई। और जब वह नीचे गिरा, तब ईंट से सिर कूचकर उसकी जान ली गई।
शरीर पड़ा रहा खून में सना, और मोबाइल बना सबूत
सुबह जब गांव वालों ने अर्धनिर्मित बगीचे की बाउंड्री के पास खून से लथपथ शव देखा, तो पुलिस को खबर दी गई। पास में खड़ा लोडर वाहन और मोबाइल सर्विलांस ने हत्यारों तक पहुंचने में देर नहीं लगाई।
पुलिस की तेज़ी और तकनीक ने महज 24 घंटे में केस को सुलझा लिया।
रेलवे पुलिया के पास से तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए, आरोपी आकाश की जेब से छोटू का मोबाइल बरामद हो गया, खून से सने कपड़े बरामद हुए।
"मामा ने मामी को छीना, तो भांजे ने मामा से ज़िंदगी छीन ली"
पूछताछ में आरोपी आकाश ने बताया कि "छोटू मामा मेरी मामी को भगाकर ले गया था। पंचायत में मुझे सबके सामने गालियां दी, धमकाया भी। हम सबने मिलकर उसे खत्म करने की कसम खाई थी।"
कानून का जवाब और पुलिस का इनाम
BNS की धारा 103(1)/3(5)/238 के तहत मुकदमा दर्ज कर तीनों को जेल भेज दिया गया। पुलिस टीम को इस 24 घंटे में हल किए गए जघन्य हत्याकांड के लिए नकद इनाम से नवाजा गया।
इस हत्याकांड ने एक बार फिर साबित कर दिया, कि जब रिश्ते गिरते हैं, तो खून बहता है। और जब पंचायतें इज़्जत का फैसला करती हैं, तो इंसान अपने ही खून को मिटा देता है।
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