गोंडा में तहसील समाधान दिवस बना असली समाधान का दिन। डीएम नेहा शर्मा की पहल से 10 साल पुराने अवैध कब्जे हटाए गए, चकमार्ग, तालाब और खलिहान की जमीनें मुक्त।
DM की सख्ती बनी ग्रामीणों की राहत: 10 साल पुराने कब्जे भी छूटे, गांवों में लौटी मुस्कान
कृष्ण मोहन
मनकापुर (गोंडा)। एक बार फिर साबित हो गया कि जब प्रशासन ठान ले, तो बदलाव मुमकिन है। डीएम नेहा शर्मा की पहल और राजस्व विभाग की त्वरित कार्यवाही ने वर्षों से जमीनों पर जमी धूल को भी उड़ा दिया। सोमवार को आयोजित तहसील समाधान दिवस ने नाम के साथ-साथ "समाधान" को भी साकार कर दिखाया।
10-10 क्विक रिस्पॉन्स टीमें बनीं रामबाण
डीएम के निर्देश पर हर तहसील में बनाई गई 10 क्विक रेस्पॉन्स टीमें न सिर्फ मौके पर पहुंचीं, बल्कि स्थलीय सत्यापन के बाद अवैध कब्जों को हटाकर ग्रामीणों को उनकी जमीन वापस दिलवाई। इस सख्त लेकिन संवेदनशील मुहिम में चकमार्ग, खलिहान और तालाब की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराया गया।
जमीन की लड़ाई में मिला इंसाफ: गांव-गांव से उठी राहत की सांस
बरसैनिया लखपतराय: राम सिंह की शिकायत पर 10 साल पुराने खलिहान कब्जे को हटाया गया।
चुवाड़, बभनीपायर: श्रीदेवी के आवेदन पर चकमार्ग की पैमाइश कर कब्जा हटवाया गया और ग्राम प्रधान को सुपुर्दगी दी गई।
बूढ़ापायर: तालाब की भूमि को कब्जे से मुक्त कर पुनः जल स्रोत के रूप में उपयोग की तैयारी शुरू।
देवरिया और केशवनगर: अतिक्रमण हटाकर चकमार्ग की स्थिति बहाल की गई, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही फिर आसान हो गई।
चकगौरा: दुर्गेश मिश्रा की शिकायत पर पुलिस व राजस्व टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर अवैध कब्जा हटाया।
जनता बोली - "अब सच में समाधान दिवस लगता है"
इस पूरे अभियान ने एक बात साबित कर दी – जब इरादा मजबूत हो, तो वर्षों पुरानी समस्याएं भी चुटकी में सुलझ सकती हैं। गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई, और लोगों ने जिलाधिकारी की तत्परता की सराहना करते हुए कहा, “पहली बार लगा कि हमारी बात सुनी भी गई और हल भी निकला।”
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