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18 महीने में एक महिला की 25 डिलीवरी और 4 नसबंदी! फतेहाबाद सीएचसी में हुआ बायोलॉजिकल चमत्कार

फतेहाबाद CHC में ऑडिट रिपोर्ट ने खोली फर्जीवाड़े की पोल! 18 महीने में एक महिला ने 25 बार डिलीवरी की, कई बार नसबंदी, बार-बार सरकारी योजनाओं का लाभ। अब जांच के घेरे में पूरा स्वास्थ्य महकमा।



18 महीने में 25 बार डिलीवरी और 4 बार नसबंदी! — फतेहाबाद सीएचसी का 'बायोलॉजिकल ब्रेकडाउन' या सरकारी ब्रेनफ्रीज?

आगरा के फतेहाबाद से चौंकाने वाली खबर, अगर आप विज्ञान के छात्र हैं, तो कृपया अपनी किताबें अभी के अभी फेंक दीजिए, क्योंकि फतेहाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ने बायोलॉजी के सारे नियमों को तोड़-मरोड़कर ऐसी कहानी रची है, जिसे सुनकर आप कहेंगे "भाई ये तो हद है!"


आपको जानकर झटका लगेगा, लेकिन दस्तावेजों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, एक महिला ने महज 18 महीनों में 25 बार डिलीवरी की है, यानी हर 21 दिन पर एक बच्चा पैदा हुआ है, और अगर आपको लगे कि इतना ही काफी है, तो रुकिए…उसी महिला की नसबंदी भी कई बार कर दी गई, कभी दाईं तरफ, कभी बाईं तरफ, और कभी मानसिक नसबंदी!


स्वास्थ्य विभाग के इस 'प्रसव महोत्सव' और 'नसबंदी उत्सव' का भांडा फोड़ा है दो साल की ऑडिट रिपोर्ट ने, जिसमें फर्जीवाड़ों की झड़ी लगी हुई है। रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ कि महिला को कई बार अलग-अलग योजनाओं का लाभ दिया गया..कभी जननी सुरक्षा योजना, कभी प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, और कभी ‘मातृत्व स्पीड रन चैलेंज’ जैसी अनजान स्कीमें!


जांच के लिए पहुंचे खुद सीएमओ!

जैसे ही यह जानकारी हुई, खुद मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव फतेहाबाद और बरौली जगनेर सीएचसी की सैर पर निकल पड़े। जब उनसे पूछा गया कि एक ही महिला इतने बार मां कैसे बन गई, तो उन्होंने दो संभावनाएं गिनाईं.. 

1. या तो यह टेक्निकल त्रुटि है (जो शायद किसी एलियन सॉफ्टवेयर से हुई हो)

2. या फिर यह जानबूझकर किया गया घोटाला है, जिसमें आशा कार्यकर्ता, बैम से लेकर लाभार्थी तक की मिलीभगत हो सकती है।


उन्होंने कहा, “अगर ये तकनीकी गलती है, तो सुधार कर दिया जाएगा। लेकिन अगर इसमें किसी की मिलीभगत पाई जाती है, तो सीधे एफआईआर ठोकी जाएगी।”


अधीक्षक के बने ढाल: वह तो बस साइड कैरेक्टर हैं!

जब अधीक्षक की भूमिका के बारे में पूछा गया कि इतनी भारी मात्रा में गलत डेटा कैसे वेरीफाई हो गया, तो सीएमओ ने कहा, “उनके पास अलादीन का चिराग नहीं है, इतने सारे अकाउंट्स की वेरिफिकेशन संभव नहीं। लेकिन जांच जरूर होगी।”


क्या है असली कहानी?

जांच अधिकारी बता रहे हैं कि केवल एक ही महिला नहीं, बल्कि कई ऐसे केस हैं जिनमें दो साल में कई बार डिलीवरी, नसबंदी और योजनाओं का लाभ दर्ज किया गया। ऐसा लग रहा है मानो सीएचसी के कंप्यूटर में ‘कॉपी-पेस्ट वायरस’ लग गया हो, जो एक ही नाम बार-बार जोड़ देता है।


शोसल पर बवाल

अब इस खबर ने पूरे आगरा जिले में हड़कंप मचा दिया है। लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं “ये तो स्वास्थ्य विभाग नहीं, बालाजी टेलीफिल्म्स की कोई सीरियल स्क्रिप्ट लग रही है!”


स्वास्थ्य विभाग की दरियादिली

अगर आप सोच रहे हैं कि सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा बस टेंडर पास करने या नकली बिल बनाने तक सीमित होता है, तो फतेहाबाद सीएचसी ने आपको गलत साबित कर दिया है।

यहां बिना बच्चा हुए बच्चा पैदा करना, बार-बार नसबंदी करवाना, और एक ही इंसान को हर योजना का लाभ दिला कर महिला पर जो उपकार किया है, वह अब जगजाहिर हो गई है।


अब देखना यह है कि जांच के बाद कौन-कौन सी नई ‘जन्म कहानियां’ सामने आती हैं और किस-किस के नौकरी ‘नसबंद’ होती है।


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