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एंटी करप्शन टीम की बड़ी कार्रवाई: 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया चकबंदी लेखपाल, सहायक अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध



उत्तर प्रदेश के बरेली में चकबंदी विभाग के लेखपाल को एंटी करप्शन टीम ने 25 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। सहायक अधिकारी की भूमिका भी जांच के घेरे में।

बरेली, उत्तर प्रदेश।

प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एक और बड़ी कार्रवाई सामने आई है। उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार निवारण संगठन, बरेली इकाई ने शुक्रवार को बरेली जनपद में तैनात चकबंदी विभाग के लेखपाल महावीर सिंह को 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है। लेखपाल की यह गिरफ्तारी बरेली की सदर तहसील गेट के पास की गई, जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता से "वारिसान दर्ज" कराने के एवज में रिश्वत की मांग की थी।

क्या है पूरा मामला?

शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन को जानकारी दी कि चकबंदी विभाग के लेखपाल महावीर सिंह, जो कि चकबंदी अधिकारी तृतीय, बरेली कार्यालय में तैनात हैं, वह पैतृक संपत्ति में नाम दर्ज कराने के बदले 25 हजार रुपये रिश्वत की मांग कर रहा हैं। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एंटी करप्शन टीम ने एक विशेष योजना बनाई और शिकायतकर्ता के सहयोग से आरोपी को रंगे हाथ पकड़ने का जाल बिछाया।

जैसे ही लेखपाल ने पैसे लिए, टीम ने उसे तुरंत धर दबोचा। गिरफ्तार लेखपाल के पास से रिश्वत की रकम भी बरामद की गई। मौके से उसे हिरासत में लेकर थाने लाया गया और उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई शुरू की गई है।


सहायक चकबंदी अधिकारी की भूमिका संदिग्ध

जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इस भ्रष्टाचार में अकेले लेखपाल ही नहीं, बल्कि सहायक चकबंदी अधिकारी भूरे खां की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। बताया जा रहा है कि वह भी इस "डील" में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। लेखपाल नहीं पकड़ा जाता है मलाई सहायक अधिकारी भी काटता, फिलहाल उनकी भूमिका की जांच की जा रही है और आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।


भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की सख्ती

उत्तर प्रदेश सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुसार सभी विभागों को पारदर्शिता अपनाने और जनता को भ्रष्टाचार मुक्त सेवाएं देने के लिए बाध्य किया गया है। इस दिशा में एंटी करप्शन टीम लगातार सक्रिय है और यह कार्रवाई उसी का एक ताजा उदाहरण है।


आगे की कार्यवाही

आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। गिरफ्तार लेखपाल को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है। भूरे खां की भूमिका की जांच जारी है, जल्द ही उनके खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। विभागीय जांच के लिए मामला चकबंदी विभाग के उच्चाधिकारियों को सौंपा गया है।

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