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श्योपुर में युवक ने 5 प्यासे चीतों को पिलाया पानी , कूनो जंगल की भावुक कहानी

MP:कूनो नेशनल पार्क के पास श्योपुर में एक युवक ने 5 चीतों को पानी पिलाकर पेश की इंसानियत की मिसाल। यह सच्ची घटना आपके दिल को छू जाएगी।



"जहां इंसानियत प्यास बुझाती है: कूनो के जंगलों में एक युवक ने 5 चीतों को पिलाया पानी, ममता और मौत के बीच थर्राई धरती"

भीषण गर्मी की तपती दोपहर थी। पेड़ के नीचे पांच चीते हांफते हुए पड़े थे—थके, प्यासे, और भूख से जूझते। किसी के लिए यह दृश्य सिहरन पैदा करने वाला होता। लेकिन मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के एक ग्रामीण ने उस दिन इंसानियत की सबसे सुंदर तस्वीर दुनिया को दिखाई।


कूनो नेशनल पार्क के पास बसे उमरीकलां गांव का दृश्य किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि असलियत है। यहां के एक युवक सत्यनारायण गुर्जर ने जान की परवाह किए बिना उन चीतों के पास जाकर एक प्लास्टिक की परात में पानी रख दिया। चीतों ने जैसे उसकी नीयत को समझा। वे पास आए और बिना किसी डर के पानी पीने लगे। मादा चीता ज्वाला अपने चार शावकों के साथ उस युवक के आसपास ऐसे मंडरा रही थी, मानो वह कोई खतरा नहीं, बल्कि उनका मसीहा हो।


प्रकृति का यह असाधारण मिलन

शिकार के बाद प्यास से व्याकुल ये चीते कहीं हिंसक हो सकते थे, लेकिन नहीं... उस दिन जंगल ने यह दिखा दिया कि जब इंसान दिल से बात करता है, तो जानवर भी भरोसे से जवाब देते हैं। ये कोई साधारण घटना नहीं थी, यह भरोसे, करुणा और सहअस्तित्व का एक ऐसा उदाहरण है, जिसे बार-बार दोहराया जाना चाहिए।


चीतों के दोस्त बने ग्रामीण

कूनो नेशनल पार्क में करीब 120 "चीता मित्र" हैं, जिन्हें इन खूबसूरत जीवों की निगरानी और देखभाल के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि केवल ट्रेनिंग ही नहीं, दिल में प्रेम और साहस हो तो कोई भी "चीता मित्र" बन सकता है।


बकरियों का शिकार और बाद की कहानी

इससे पहले, ये चीते गांव के नजदीक आकर बकरियों का शिकार कर चुके थे। गांव में बेचैनी थी, डर था, लेकिन साथ ही था एक रिश्ता... जो जंगल और गांव को जोड़ता है। यह रिश्ता उस दिन और भी मजबूत हुआ जब इंसान ने शिकार हुए जानवर के दुख से नहीं, शिकारी की प्यास से जुड़ाव महसूस किया।


एक तस्वीर जो बहुत कुछ कहती है

इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। ज्वाला और उसके शावकों को 'Come' कहकर बुलाते हुए युवक की आवाज़ सुनकर जैसे पूरा जंगल थम गया। एक पल को लगा कि जानवर और इंसान की भाषा भले अलग हो, दिल की धड़कनें एक जैसी होती हैं। जिसे आप यहां देख सकते हैं 👇



प्रकृति हमें रोज़ सिखाती है...

हम जंगल से डरते हैं, जानवरों को हिंसक कहते हैं, लेकिन शायद हम खुद उनके जंगल में दखल देने वाले हैं। इस कहानी ने साबित किया है—अगर आप जानवरों से प्रेम करेंगे, तो वे भी आपको उसी प्रेम से जवाब देंगे। एक युवक का यह कार्य केवल पानी पिलाना नहीं था... यह था एक संदेश—कि इस पृथ्वी पर हम सब साथ जी सकते हैं, अगर हमारे भीतर थोड़ा-सा साहस, थोड़ा-सा प्रेम और थोड़ी-सी इंसानियत बाकी हो।


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