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BALRAMPUR...जंतु विज्ञान विभाग में गौरैया दिवस आयोजित



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज के जूलॉजी विभाग द्वारा गुरुवार को राष्ट्रीय गौरैया दिवस का आयोजन किया गया ।

20 मार्च, 2025 को एमएलके पीजी कॉलेज, बलरामपुर में जूलॉजी विभाग ने प्राचार्य प्रोo जेपी पांडे के नेतृत्व में गौरैया दिवस के अवसर पर एक जीवंत उत्सव का आयोजन किया। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में गौरैया और अन्य छोटी पक्षी प्रजातियों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर संकाय और छात्र-छात्राओं दोनों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। प्रो जेपी पांडेय ने गौरैया संरक्षण के महत्व पर जोर दिया, जो शहरीकरण और आवास विनाश के कारण अपनी आबादी में गिरावट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने इन महत्वपूर्ण प्राणियों की रक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिनकी उपस्थिति पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभाग अध्यक्ष प्रोo अशोक कुमार ने पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने में इस तरह के आयोजनों के महत्व पर बल देते हुए प्राचार्य की भावनाओं को प्रतिध्वनित किया। डॉ. सद्गुरु प्रकाश ने गौरैया दिवस केवल गौरैया को मनाने के बारे में नहीं है, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाने के बारे में भी है। भोजन प्रदान करने, आश्रय बनाने और पेड़ लगाने जैसे छोटे कार्य गौरैया संरक्षण में महत्वपूर्ण अंतर ला सकते हैं । डॉ. आकांक्षा त्रिपाठी, डॉ. कमलेश कुमार और डॉ. मानसी पटेल इन सत्रों के दौरान छात्रों का मार्गदर्शन करने में सक्रिय रूप से शामिल थे। डॉ. आरबी त्रिपाठी, डॉ. अल्पना परमार और डॉ. आनंद बाजपेयी ने भी अपनी अंतर्दृष्टि साझा की कि कैसे गौरैया की आबादी में गिरावट व्यापक पर्यावरणीय चुनौतियों और जैव विविधता संरक्षण के महत्व का संकेत है। छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया और कृषि तथा कीट नियंत्रण में गौरैया की भूमिका के बारे में बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त किया। दिन का समापन जंगलों में गौरैया की प्रतीकात्मक रिहाई के साथ हुआ, जो इन छोटे लेकिन महत्वपूर्ण जीवों को संरक्षित करने के लिए कॉलेज समुदाय की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एमएलके पीजी कॉलेज में गौरैया दिवस के उत्सव ने न केवल छात्रों, बल्कि शिक्षकों को भी शिक्षित किया । साथ ही प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी प्रेरित की ।

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