उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में गरीब पिता की पढ़ी-लिखी बेटी एक दौलत लोभी की दुल्हन बनने वाली थी, लेकिन दौलत के लालच में दूल्हे के घर वालों को दानव बना दिया। पिता ने जी तोड़ मेहनत करके बेटी को पढ़ा लिखा कर होनहार कर दिया था, लेकिन गरीबों ने उसे बेटी का हाथ एक महज साक्षर युवक के हाथों में देने के लिए विवश होना पड़ा। उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था, जिसके हाथों में वह बेटी का हाथ सौंप रहा है, वह बहुत बड़ा लालची है।
दरअसल, शादी की तैयारियों में जुटा राम कुमार वर्मा का परिवार खुशियों के सपने देख रहा था, लेकिन अचानक उनकी दुनिया उजड़ गई। महज 22 साल की होनहार बेटी लक्ष्मी ने दहेज के दानवों से तंग आकर खुद को मौत के हवाले कर दिया है। मल्हीपुर थाना क्षेत्र के खावा कला गांव में यह दर्दनाक घटना हुई, जिसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया।
"पापा, मैं मजबूर हूं..."
युवती ने सुसाइड नोट में लिखा –
"मुझे माफ कर देना, पापा... मैं अब और नहीं सह सकती। मुझे फांसी लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मेरी शादी को लेकर आपकी मजबूरियां अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रही है, हम जानते हैं कि आप कितना दहेज देने में सक्षम नहीं है, ऐसे में यह कदम उठाना मेरी मजबूरी है"
उसकी शादी 29 अप्रैल को होनी थी, उससे पहले 18 अप्रैल को तिलक होना था, लेकिन वर पक्ष ने अचानक 5 लाख रुपये की मांग कर दी। गरीब पिता लाख कोशिशों के बावजूद यह रकम जुटाने में असमर्थ थे। बेटी ने अपनी बेबसी महसूस की और आखिरकार फंदे से झूल गई।
सपने अधूरे रह गए...
युवती बीए और डीएलएड की पढ़ाई कर रही थी। उसने हमेशा अपने माता-पिता का सहारा बनने की चाह रखी थी, गरीबी के कारण उसकी शादी एक ऐसे युवक से तय कर दी गई जो महज कक्षा 8 तक पढ़ा था। बावजूद इसके, वर पक्ष ने मुंहमांगा दहेज मांगा और जब परिवार ने असमर्थता जताई, तो बेटी को घुटन महसूस होने लगी।
आखिरी चीख, जिसे किसी ने नहीं सुना
उसने अपने आखिरी पत्र में लड़के और उसके पिता का नाम लिखकर उन्हें अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया। सुसाइड नोट में दर्ज हर शब्द चीख-चीखकर समाज की उस कड़वी सच्चाई को बयान कर रहा था, जहां बेटियां आज भी बोझ समझी जाती हैं और शादी किसी बोली की तरह लगती है।
"दहेज के दानवों को कब तक छूट मिलेगी?"
इस हृदयविदारक घटना ने हर किसी की आंखों में आंसू ला दिए हैं। पुलिस अधीक्षक घनश्याम चौरसिया ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक बेटियां इस दहेज रूपी दानव की बलि चढ़ती रहेंगी?
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