संतकबीरनगर: बृहस्पतिवार को बीआरसी पर जय हिन्द के नारे को याद करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हुए शिक्षकों और बीईओ ज्ञानचंद्र मिश्र ने नेताजी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया।
वक्ताओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उड़ीसा में जन्मे नेताजी ने अंग्रेजी शासन काल में आईसीएस की परीक्षा पास करने के बाद भी देश की आजादी के लिए नौकरी ठुकरा दी। जय हिंद नारे के साथ उनके प्रसिद्ध नारा था तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगाँ आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। प्रसिद्ध युद्ध नारे दिल्ली चलो के साथ उनकी आजाद हिंद फौज की सेना ने लक्ष्य बनाकर अंग्रेजों से लोहा लिया था। इस लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ युवा वर्ग, शिक्षक और विद्यार्थी समेत पूरा देश ही शामिल हो गया था। हमारे भारत में जनवरी माह इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जनवरी में भारत ने अपने संविधान को अपनाया और लोकतांत्रिक राष्ट्र का निर्माण हुआ तो वहीं स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े दो दिग्गज जननायकों का भी इस माह से संबंध है। गणतंत्र दिवस से पहले देश पराक्रम दिवस मनाता है। पराक्रम दिवस हर साल 23 जनवरी को मनाया जाता है। यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना और देशभक्ति की भावना को जागृत करना है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश की सेवा के लिए हर संभव प्रयास करें। यह युवाओं को नेताजी के साहस, आत्मनिर्भरता और देशभक्ति से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है। इस अवसर पर अनूप सिंह, कमलाकांत यादव, सर्वेश त्रिपाठी, नंद किशोर, प्रफुल्ल त्रिपाठी, सरवरे आलम आशुतोष कुमार सिंह, प्रशांत, आफताब आलम समेत कई मौजूद रहे।
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