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गोंडा में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक अधिकारी और कनिष्ठ लिपिक के खिलाफ मुकदमा



उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और कनिष्ठ लिपिक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संगठन के प्रभारी धनंजय सिंह ने नगर कोतवाली पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया है। मामले की विवेचना भ्रष्टाचार निवारण संगठन के टीम द्वारा किया जाएगा।

शिकायती पत्र के मुताबिक वर्ष 2018 में पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निवारण संगठन को शिकायती पत्र मिला था कि जनपद में 870 मदरसे पंजीकृत है, जिसमें 350 मदरसों के कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। कागजों में मदरसे चला कर 800 शिक्षकों को तनख्वाह दिया जा रहा है। मामले में जांच के उपरांत मुकदमा दर्ज हुआ है।

जांच रिपोर्ट: बताया जाता है की जांच में पाया गया कि वर्ष 2013 के अप्रैल माह से वर्ष 2015 के मई माह तक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन कनिष्ठ लिपिक से मिलीभगत करते हुए स्वत लाभ लेने के उद्देश्य से मदरसे की मान्यता दिलाने सहित कई काम किए। इस दौरान 357 मदरसों के कागजात अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजा गया। लेकिन मूल डिस्पैच रजिस्टर में महज 58 मदरसों के कागजों का मिलान हो पाया। इसके बाद 357 मदरसों के बारे में मौके पर जाकर के जानकारी प्राप्त की गई तो 126 मदरसे केवल कागजों में ही जीवित पाए गए।

आरोपी अधिकारी: मामले में भ्रष्टाचार निवारण संगठन प्रभारी ने अयोध्या जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत देवरा गांव के रहने वाले तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह और गोंडा नगर कोतवाली क्षेत्र के सद्भावना पुलिस चौकी अंतर्गत मुन्नन खां चौराहा के रहने वाले कनिष्ठ लिपिक शमीम अहमद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।



बोले एएसपी: अपर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार रावत ने बताया कि देवीपाटन मंडल के भ्रष्टाचार निवारण संगठन प्रभारी ने शिकायती पत्र देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और कनिष्ठ लिपिक के खिलाफ आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल के दौरान मदरसों के संचालन, मदरसों के मानदेय, मान्यताओं में गबन किया गया है। मामले में थाना कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन इकाई देवी पाटन मंडल के द्वारा की जाएगी।

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