उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हैरान करने वाला मामला प्रकाश में आया है। यहां मौत के 650 दिन बाद जिंदा होकर युवक ने घटना को अंजाम दे दिया। यही नहीं, युवक ने मौत के 1199 दिन बाद पुलिस के सामने पेश होकर अपना बयान प्रस्तुत करते हुए हस्ताक्षर भी किया। लेकिन जब आरोपी को अदालत में पेश करने की बारी आई तब युवक ने पुलिस के सामने आने से इनकार कर दिया। तब पुलिस वाले दोषी करार हो गए। मामले को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने एक कंपनी के प्रबंधक सहित चार उपनिरीक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दे दिया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस अपने अलग-अलग कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहा करती है, ऐसे ही आगरा कमिश्नरेट में तैनात पुलिसकर्मियों ने हैरानी हैरानी भरा कारनामा करके सबको हैरान कर दिया है। वास्तविकता जब अदालत के समक्ष पेश हुई तब अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
दरअसल वर्ष 2018 के 24 जून को थाना हरि पर्वत पुलिस में न्यायालय के आदेश पर धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसकी विवेचना करते हुए हरि पर्वत थाना में तैनात तत्कालीन उप निरीक्षक मनीष कुमार, उप निरीक्षक राजीव तोमर, उप निरीक्षक राकेश कुमार और उप निरीक्षक अमित प्रसाद के द्वारा की गई थी।
मौत के 1200 दिन बाद मृतक ने दिया बयान: मजे की बात यह रही की पुलिस ने मामले में बिना कोई जांच पड़ताल किए केस डायरी के पर्चा नंबर पांच में वादी राम फाइनेंस द्वारा शाखा प्रबंधक नवीन गौतम का बयान लिया गया। इसके बाद वर्ष 2019 के 25 दिसंबर को आरोपी प्रताप सिंह का बयान अंकित किया गया। जबकि प्रताप सिंह की मौत वर्ष 2016 के 12 सितंबर को हो चुकी थी। जिसमें मौत के 16 दिन बाद सरकारी मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी हो चुका था। गजब की बात यह रही कि झूठी और मनगढ़ंत कहानी बनाते हुए पुलिस ने मृतक का हस्ताक्षर भी करवा लिया था।
उप निरीक्षक सहित के खिलाफ FIR: मामले में दयालबाग के दयानंद नगर के रहने वाले मंगल सिंह राणा पुत्र गिरिराज सिंह राणा के शिकायती पत्र पर चार तत्कालीन उप निरीक्षकों सहित श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के शाखा प्रबंधक नवीन गौतम के खिलाफ हरी पर्वत थाना पुलिस में मुकदमा दर्ज हुआ है।
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