नौकरी से हाथ धोने के बावजूद बर्खास्त संभागीय निरीक्षक का अवैध कारनामों से नाता नहीं टूटा। आरोपी के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई के बाद भी आदतों में सुधार नहीं हुआ। पद का दुरुपयोग करते हुए षडयंत्र पूर्वक फर्जी सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाने का सौदागर बन गया। मामले में गाजियाबाद पुलिस में आरोपी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है।
मामला गाजियाबाद कमिश्नरेट के मुरादनगर पुलिस से जुड़ा हुआ है। बर्खास्त संभागीय निरीक्षक को षड्यंत्र रचकर फर्जी सर्टिफिकेट उपलब्ध करवाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 25 अगस्त को थाना मसूरी में धोखाधड़ी, कूटरचना, गाली गलौज जान माल की धमकी सहित विभिन्न धाराओं में छः लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की जांच पड़ताल के दौरान पुलिस को ज्ञात हुआ कि बर्खास्त संभागीय निरीक्षक पूरे मामले में अपने भूमिका निभा रहा है। जिसके गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दिल्ली प्रशांत विहार के रोहिणी थाना अंतर्गत प्रिंटर अपार्टमेंट के रहने वाले बर्खास्त संभागीय निरीक्षक मनीष पुरी पुत्र स्व० यश कुमार पुरी को घर से गिरफ्तार कर लिया गया।
12 वर्ष से चल रही जांच: पुलिस के पूछताछ में बर्खास्त संभागीय निरीक्षक ने बताया कि मैं मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था 12 वर्षों से विभागीय जांच चल रही है। मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली सरकार ने वर्ष 2022 के 10 अगस्त को बर्खास्त कर दिया था।
बहकावे में आकर किया अपराध: पुलिस के पूछताछ में आरोपी ने बताया कि यूपी पुलिस कुछ माह पहले वाले ने के लिए आई थी, अपने दोस्तों के बहकावे में आकर लालच में आ गया था। रोहित भसीन के कहने पर ऐसे अपराध को अंजाम दिया।
कमाया बहुत रकम: इस काम में ज्यादा रुपया है, कई मामलों में हम लोगों ने बहुत ज्यादा रुपए कमाया है सकील व अंबर जेटली ने दिल्ली के थाना छावला अंतर्गत राघोपुर गांव में कुछ जमीन दिखाया था, जिसके बाबत अपने साथियों के साथ मिलकर हम फर्जी सर्टिफिकेट उपलब्ध करा दिया था।
बर्खास्तगी के बाद वर्दी से मोह: पुलिस पूछताछ में बर्खास्त संभागीय निरीक्षक ने बताया कि उसका अपनी वर्दी से मोह भंग नहीं हुआ था, CBI में वर्ष 2014 और वर्ष 2016 में मुकदमा दर्ज होने के कारण बर्खास्त होने के बाद भी वर्दी पहनता था।
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