अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा शनिवार को"नवाचार, समाज और अर्थव्यवस्था में बौद्धिक संपदा अधिकार" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रबंधन वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीएसटी), उत्तर प्रदेश के वित्तीय सहयोग से संपन्न हुआ।
16 नवंबर को एमएलके पीजी कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ परंपरागत रूप से दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ किया गया । उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर वीके श्रीवास्तव ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व और समाज पर इसके प्रभाव पर जोर दिया।
अपने उद्बोधन में उन्होंने यह बताया कि यह एक समसामयिक विषय है। उन्होंने विभिन्न केस स्टडी के माध्यम से बौद्धिक संपदा को स्पष्ट किया और बताया कि हमारे पास क्षेत्र है, ज्ञान है लेकिन जरूरत है इन सभी को एक जगह व्यवस्थित करने की । इसी से बौद्धिक सम्पदा की स्थिति अच्छी हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे हमारे प्रोडक्ट्स की लीगल राइट्स होनी चाहिए और इसी से बौद्धिक सम्पदा की स्थिति बेहतर हो सकती है। मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर एमके अग्रवाल ने नवाचार और अर्थव्यवस्था में बौद्धिक संपदा की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने उदबोधन में बताया कि पेटेटिंग हमेशा लाभप्रद है।
भारत को नवाचार की तरफ आगे बढ़ना है। भारत को अपने मॉडल से स्टार्ट अप के कल्चर को आगे बढ़ाना है। अपनी संस्कृति के अनुसार और अपनी फिलोसॉफी के अनुसार पेटेटिंग को बढ़ावा देना जरूरी है। हम जो भी करे वह अनैतिक न हो और सत्य पर आधारित हो । महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जे. पी. पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि कैसे नवाचार सभी रचनात्मकता के लिए एक प्रेरक शक्ति है। उन्होंने इस आयोजन हेतु राजनीति विज्ञान विभाग के सभी शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
एमएलके पीजी कॉलेज प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव बीके सिंह ने अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया । साथ ही इस आयोजन हेतु प्राचार्य, आई क्यू ए सी कोऑर्डिनेटर, आयोजन सचिव तथा इस कार्य से जुड़े सभी की प्रशंसा की। आयोजन सचिव डॉ. प्रखर त्रिपाठी ने सम्मेलन के विषय व उसके उद्देश्यों को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्वदेश भट्ट और डॉ. मनोज सिंह ने किया तथा तकनीकी सहोयग मसूद मुराद ने किया। इस दौरान आईक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर और इस सम्मेलन के भी कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर तब्बसुम फरखी ने राष्ट्रीय प्रत्यायन और मूल्यांकन परिषद (एनएएसी) के कार्यों और इस सम्मेलन से इसके संबंधों पर प्रकाश डाला।
उद्धघाटन सत्र का समापन प्रोफेसर फरखी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षाविदों और कई जगहों से आये शोधकर्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने नवाचार और समाज में बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रभाव, चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन के प्रथम दिन विभिन्न सत्रों में विषय-विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और प्रतिभागियों ने इन पर संवाद किया। इस अवसर पर प्रोफेसर राजेश कुमार सिंह, प्रोफेसर पी के सिंह, प्रोफेसर राघवेंद्र सिंह, प्रोफेसर एस पी मिश्रा, प्रोफेसर वीना सिंह, सम्मेलन के समन्वयक डॉ आशीष लाल, डॉ प्रमोद यादव, संदीप यादव, दिनेश कुमार, डॉ ऋषि रंजन, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ बी एल गुप्ता, आनंद प्रताप त्रिपाठी, राजेश मणि त्रिपाठी, वनस्पति विज्ञान विभाग अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक शिक्षिकाएं व सैकड़ों छात्र छात्राएं उपस्थित रहे ।
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