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अध्यापक बर्खास्त: 15 गंभीर आरोपों का समुचित जवाब नहीं मिलने पर गिरी गाज



डीएवी इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक को प्रबंध समिति बैठक के बाद बर्खास्त किया गया है, सहायक अध्यापक अशोक तिवारी के खिलाफ जांच हो रही थी। जांच रिपोर्ट आने के उपरांत प्रबंध समिति ने बैठक करके अध्यापक को सेवा से बर्खास्त किया है।

उत्तर प्रदेश बलरामपुर जनपद में संचालित डीएवी इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक अशोक तिवारी के खिलाफ तीन सदस्यीय जांच टीम गठित थी। विज्ञान विषय के प्रशिक्षित अध्यापक अशोक तिवारी को बीते सप्ताह निलंबित किया गया था। जिसके बाद 10 नवंबर को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। 

15 आरोपों की हुई पुष्टि: उक्त आशय की जानकारी देते हुए प्रबंधक संजय तिवारी ने बताया कि शिक्षक अशोक कुमार तिवारी के खिलाफ चल चल रही जांच में जांच टीम ने 15 आरोपों की पुष्टि की है, जिसके बाद बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया है।

दिया गया था अंतिम अवसर: विद्यालय प्रबंधन ने बताया कि प्रबंध समिति की बैठक में 27 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट की प्रति देते हुए सहायक अध्यापक से स्पष्टीकरण तलब किया गया था। जिसकी जवाबदेही 5 नवंबर निर्धारित की गई थी। स्पष्टीकरण देने के अंतिम दिन के 1 दिन पहले आरोपी शिक्षक ने स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया। उनका स्पष्टीकरण देखने के बाद प्रबंध समिति की बैठक में निर्णय लेते हुए उन्हें तत्काल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

शिक्षक पर लगे आरोप: प्रबंधक ने बताया कि सहायक अध्यापक अशोक तिवारी ने बिना अनुमति लिए हुए जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में 2 सितंबर को धरना प्रदर्शन किया था। इस दौरान कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक सुधांशु दुबे और सहायक लिपिक रवि मिश्रा से अभद्रता करने का आरोप है। यह भी आरोप लगे थे कि इस दौरान सहायक अध्यापक ने वेतन बिल व वेतन रजिस्टर छीनने व फाड़ने का प्रयास किया।

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर जड़ा ताला: प्रबंधक ने बताया कि सहायक अध्यापक अशोक कुमार तिवारी ने 3 सितंबर के सुबह साढ़े 9 बजे मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था, जिससे अधिकारियों कर्मचारियों का कार्यालय में जाने का रास्ता बंद हो गया था। इस प्रकार से सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न हो गया था। वही शिक्षक विद्यालय में बिना छुट्टी लिए गायब रहने के कारण अनुपस्थित पाए गए।

विद्यालय का बिगाड़ा माहौल: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शिक्षक ने छात्र छात्राओं को प्रतिबंधित धारदार हथियार और लाठी बांट कर विद्यालय के शैक्षिक माहौल को बिगाड़ने का काम किया।

पूर्व के विद्यालय से नहीं हुआ मोहभंग: प्रबंधक ने बताया कि वर्ष 1991 के 11 जुलाई को शिक्षक की नियुक्ति हुई थी, इसके बावजूद भी शिक्षक का अपने पूर्व के विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षण कार्य जारी रहा। पूर्व के विद्यालय से शिक्षक का मोहभंग नहीं हुआ। 

दोनों संस्थानों से लिया वेतन: शिक्षक ने सभी नियमों को ताक पर रख कर कूटरचना करके 11 जुलाई 1991 से 30 सितंबर 1991 तक दोनों विद्यालयों से वेतन लिया।

संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर बर्खास्त: विद्यालय प्रबंधन में बताया कि सहायक अध्यापक अशोक कुमार तिवारी लगातार शिक्षक कार्य में लापरवाही करते हुए पाए गए हैं। उन्होंने शिक्षक की गरिमा, अनुशासनहीनता और कर्मचारी नियमावली के विरुद्ध काम किया है। शिक्षक विद्यालय में हमेशा देर से आते थे इसलिए शिक्षक कार्य प्रभावित होता था। बिना परमिशन लिए जिला मुख्यालय छोड़ देते थे। ऐसे तमाम आरोपों को देखते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया था। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया है।

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