पुलिस क्षेत्राधिकारी को सेवानिवृत होने के बाद नेता बनने का जुनून सवार हो गया, राजनीतिक सफलता न मिलने पर आयोग के अध्यक्ष होने के सपने देख डाले। इन्हीं सपनों को पूरे करने के चक्कर में सेवानिवृत्त पुलिस क्षेत्राधिकारी ने 25 लाख रुपए गवां दिए, मामले में एक आचार्य सहित पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।
बरेली के सिविल लाइन में रहने वाले पूर्व सीओ जगदीश सिंह पाटनी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर मुकदमा दर्ज कराया है। पूर्व सीओ का आरोप है कि 5 6 माह पूर्व बरेली के हार्टमन कॉलेज के रहने वाले शिवेंद्र प्रताप सिंह पुत्र धर्मेंद्र सिंह ने पूर्वी दिल्ली उत्तम नगर के रहने वाले दिवाकर गर्ग और ऋषिकेश जूना अखाड़ा के रहने वाले जयप्रकाश गुरु जी से संपर्क करवाया। अपनी राजनैतिक पहुंच व संपर्क का हवाला देते हुए राजनीति में सम्मानित पद या सरकारी विभाग के किसी आयोग में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद दिलाने का आश्वासन दिया गया। प्रतिष्ठित पद व सम्मान पाने की महत्वाकांक्षा में पूर्व सीओ फंस गए। आरोपियों ने पूर्व क्षेत्राधिकारी को विश्वास में लेते हुए अग्रिम धनराशि के रूप में नगद 5 लाख रुपए ले लिया। कुछ समय बीतने के बाद झूठा आश्वासन देते हुए जालसाजों ने लखनऊ में तथाकथित ओएसडी हिमांशु से मुलाकात कराई। 5 लाख रुपए देकर फंसे पूर्व क्षेत्राधिकारी तथाकथित ओएसडी के भी छलावे में आ गए। उसके कहने पर प्रीति गर्ग पत्नी दिवाकर गर्ग के खाता में आरटीजीएस के जरिए 5 5 लाख रुपए दो बार भेजा। इसी क्रम में आरटीजीएस के जरिए से स्मार्ट सॉल्यूशन के खाता में 5 लाख रुपए भेज दिया। मुलाकात के दौरान क्षेत्राधिकारी ने शिवेंद्र प्रताप सिंह को 5 लाख रुपए नगद दिया। विभिन्न किस्तों में क्षेत्राधिकारी ने 25 लाख रुपए गवां दिए।
क्षेत्राधिकारी का आरोप है कि जालसाजों ने रुपए लेते समय वादा किया था कि 3 महीने में काम पूरा न होने की दशा में 10% ब्याज सहित रकम वापस हो जाएगा। 6 महीने बीतने के बाद दिए गए धन को वापस मांगने पर पूर्व पुलिस क्षेत्राधिकारी को धमकी दी गई।
पुलिस क्षेत्राधिकारी का कहना है कि समय बीतने के साथ मुझे पता चल गया कि आरोपी झुठी राजनीतिक संपर्क का हवाला देते हुए जरूरतमंद लोगों को अपने जाल में फंसा कर रुपए ऐंठने का काम करते हैं। इनका एक बड़ा नेटवर्क है जिसमें कई लोग शामिल हैं।
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