उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जांच के दौरान 68 महिलाएं एचआईवी संक्रमित पाई गई हैं। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि 68 महिलाओं में 20 महिलाओं ने टैटू से संक्रमण होने की आशंका जताई है। उन्हें शक है कि टैटू आर्टिस्ट के लापरवाही से उन्हें संक्रमण हुआ है। वही पूर्व में छुपी एक पत्रिका के मुताबिक टैटू बनवाने पर शोधकर्ताओं ने स्किन कैंसर को बढ़ावा बताया था।
दरअसल गाजियाबाद में 68 महिलाओं में एड्स जैसी गंभीर बीमारी के संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिसमें 20 महिलाओं ने एचआईवी संक्रमण की वजह टैटू आर्टिस्ट को बताया है।
सुई से फैलाई एचआईवी: महिलाओं का मानना है कि टैटू आर्टिस्ट जब टैटू बना रहा था तब उसने किसी एचआईवी संक्रमित का टैटू बनाया होगा। उसी नीडल (सुई) का प्रयोग करते हुए उसने अन्य महिलाओं के टैटू बनाया, जिससे वह एड्स के संक्रमण में आ गई।
टैटू से स्किन कैंसर का खतरा: आमतौर पर टैटू बनवाना फैशन होता जा रहा है, लेकिन इससे स्वास्थ्य को लेकर भी भारी समस्या उत्पन्न होने की पूरी संभावना बनी रहती है। जिससे स्किन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
त्वचा को नुकसान:एक पत्रिका के मुताबिक अमेरिका में फूड एंड ड्रिंक एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) एवं अमेरिकन एकेडमी का डर्मेटोलॉजी संस्थाओं ने टैटू बनवाने में इस्तेमाल होने वाले इंक पर अध्ययन किया था। हालांकि किसी भी शोधकर्ता ने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि टैटू बनवाने से स्किन कैंसर होने की पूरी संभावना है, लेकिन रिसर्च में कुछ ऐसे तथ्य मिले कि स्याही में मिलने वाले केमिकल्स से त्वचा को नुकसान हो सकता है।शोधकर्ताओं का मत है कि स्याही में हेवी मेटल्स और टॉक्सिक केमिकल पाए जाते हैं। जिससे स्किन इरिटेशन इंफेक्शन और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने यह भी पाया कि टैटू बनवाने वाले लोग सूरज के अत्यधिक संपर्क में रहते हैं, तो उनके त्वचा में असामान्य बदलाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
आखिर स्किन कैंसर का खतरा क्यों?: शोधकर्ताओं का मानना है कि जिस इंक से टैटू बनाया जाता है उसमें कुछ ऐसे केमिकल होते हैं जो स्किन में पहुंचकर स्किन के सेल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिसमें कुछ रसायन स्किन कैंसर को बढ़ावा देने के लिए कारगर होते हैं।वर्ष 2017 में एक अध्ययन के उपरांत एडवांस और डर्मेटोलॉजी और एलर्जोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ था कि टैटू के स्याही में पाए जाने वाले केमिकल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह भी कहा था कि इस पर अभी और शोध करने की जरूरत है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि टैटू बनवाने से स्किन कैंसर की संभावना है या नहीं है।शोधकर्ताओं का मानना था कि बार-बार टैटू बनवाने से इम्यूनिटी कमजोर होती है, इम्यून सिस्टम कैंसर से लड़ने में मदद करता है। इम्यूनिटी के कमजोर होने से कैंसर को बढ़ावा मिल सकता है।
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