उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में सरकार की महती योजना में धोखाधड़ी का हैरान करने वाला मामला प्रकाश में आया है, जिसमें लाभार्थियों से मिली भगत करके बने हुए मकान के नाम पर रुपए निकाल लिए गए। जिसकी स्थानीय स्तर पर भनक भी नहीं लगी, लेकिन मामले में सत्यापन करने वाली संस्था ने खुद भंडाफोड़ करते हुए मुकदमा दर्ज करवा दिया। इसके बाद पुलिस ने मामले में संस्था के कर्मियों सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय रवाना कर दिया है।
बताया जाता है कि कंपनी के इंजीनियर सरकारी रकम डकारने के लिए बड़ी साजिश करते थे। खाली पड़े प्लाट पर निर्माण के लिए रुपया आवंटित करवा कर अर्ध निर्मित मकान की तस्वीर लगाकर दूसरी किस्त प्राप्त कर लेते थे। इसी प्रकार से नए बने हुए मकान के फोटो जिओ टैग को संलग्न कर सरकार की योजना में सेंधमारी कर रहे थे। मामले में संस्था ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। जिससे कुछ आरोपियों का भांडा फूट गया, लेकिन अभी कुछ का भंडा फूटना बाकी है।
बलरामपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना में सेंध लगाकर घोटाला, भंडाफोड़ कर पुलिस ने सात को किया गिरफ़्तार pic.twitter.com/foJjqYbxcG
नई दिल्ली के क्रियटिव कन्सोर्टियम कीर्ति नगर के रहने वाले नीरज कुमार सिंह ने मुकदमा दर्ज करवाते हुए कहा था कि Creative Consortium संस्था के कर्मी प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के लाभार्थियों के अर्ध निर्मित मकान व स्थान पर व पूर्व से निर्मित मकान पर फर्जी जियो टैग करते हुए कोर्ट रचित जियो टैग अभिलेख तैयार कर भुगतान कर रहे हैं। जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
पुलिस के जांच में खुला राज: मुकदमा दर्ज करने के बाद शुरू हुई जांच में पुलिस ने पाया कि धोखाधड़ी कर अनुचित लाभ लिया गया है। मामले में पुलिस ने बलरामपुर नगर कोतवाली से 4, उतरौला कोतवाली से 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय रवाना कर दिया।
जानिए कौन हुआ गिरफ्तार: मामले में नगर कोतवाली पुलिस ने कार्तिक मोदनवाल पुत्र विष्णु मोदनवाल,विजय कुमार यादव पुत्र फतेह बहादुर यादव, मो• वशीक पुत्र मो• शफीक, मो• समीर पुत्र मोहम्मद शफीक को नहरबालागंज बलरामपुर से गिरफ्तार किया गया है। वही मामले में उतरौला पुलिस ने अनिमेश तिवारी पुत्र रामजी तिवारी, राहुल पुत्र रामप्रताप कश्यप और रोहित सिंह पुत्र बिन्देश्वरी प्रसाद को गिरफ्तार किया है। बलरामपुर में कार्तिक मोदनवाल व विजय कुमार यादव Creative Consortium संस्था में जियो टैग डाटा के सत्यापन का कार्य करते थे। वही उतरौला में अनिमेश तिवारी ने मिलीभगत करके लाभार्थियों के आवास की गलत तरीके से अर्द्धनिर्मित मकानों के स्थान पर पूर्व से निर्मित मकानों की जियो टैगिंग करके लाभार्थी आरोपी राहुल व रोहित सिंह को अनुचित लाभ पहुंचाया।
हेराफेरी करके खुद लेते थे लाभ: पकड़े गए आरोपियों में बताया कि वह Creative Consortium के लिए काम करते थे जियो टैग में फेर बदल करके फर्जी जिओ टैगिंग के जरिए खुद लाभ ले रहे थे।
अभी और होगी गिरफ्तारी: पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पुलिस जांच करने में जुटी हुई है, जिले के अलग-अलग इलाकों में भी फर्जी तरीके से भुगतान प्राप्त होने की बात बताई जा रही है। जांच पड़ताल के बाद मामले में गिरफ्तारी के उपरांत कार्रवाई सुनिश्चित है।
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