अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय पर श्रीश्री108 सत्य प्रचारिणी रामलीला समिति द्वारा नगर के रामलीला मैदान में चल रहे मंचन के आठवें दिन गुरुवार की रात अशोक वाटिका, लंका दहन, विभीषण शरणागति, श्रीराम द्वारा शिवलिंग की स्थापना, नल नील द्वारा सेतु निर्माण, अगंद रावण संवाद का मंचन किया गया। मंचन में दिखाया गया कि हनुमान जी सीता जी की खोज में समुद्र पार कर लंका पहुंचते हैं। यहां अशोक वाटिका में माता सीता जी मिलती है। हनुमान सीता जी को श्रीराम का संदेश देते हैं। उसके बाद हनुमान जी को भूख लगती है वह सीता माता से फल खाने की अनुमति लेते है और अशोक वाटिका को नष्ट कर देते है।
इसके बाद, हनुमान जी का लंका नरेश रावण के पुत्र मेघनाद से घनघोर युद्ध होता है। हनुमान जी को नागपाश में बांधकर रावण के दरबार में लाया जाता है। हनुमान जी की पूछ में आग लगा दी जाती है। तो हनुमान जी रावण की सोने की लंका को जला देते हैं। इधर, सभा मे विभीषण रावण को समझाता है, श्रीराम को सीता सम्मान के साथ वापस भेज दो, लेकिन रावण क्रोधित हो जाता है और विभीषण को सभा मे अपमानित कर भगा देता है।
ऐसे में विभीषण प्रभु श्रीराम की शरण में पहुंच जाते हैं। इसके बाद, श्रीराम वानर सेना के साथ लंका की ओर जाते है और समुद्र तट पर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा आराधना करते है। श्रीराम द्वारा नल नील सहित वानर सेना के सहयोग से समुद्र पर सेतु बनाया जाता है और वानर सेना समुद्र पार करती है। अंगद श्रीराम का दूत बनकर रावण दरबार में पहुंचते हैं और रावण से संवाद करते हैं।
अंगद रावण से कहते हैं कि समय रहते अब भी श्री राम को सीता लौटा दे तो राम तुम्हारा कल्याण कर देंगे। आक्रोशित रावण राम के दूत को दंड का फरमान सुनाता है, लेकिन अंगद शर्त रख देते हैं और कहते हैं कि कोई मेरा पैर टस से मस कर दे तो मैं मान जाऊंगा कि आप राम को पराजित कर सकते हैं, अंगद का पांव रावण के दरबार में उपस्थित कोई भी योद्धा हिला नहीं पाता है। मंचन देख दर्शन प्रफुल्लित हो जाते है। और जय श्रीराम का जय घोष लगाते है।
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