अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में 11 अक्टूबर को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पॉयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कॉलेज, बलरामपुर में ‘दशहरा (विजयादशमी), का पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा0 एमपी तिवारी एवं उप प्रधानाचार्या शिखा पाण्डेय सहित समस्त अध्यापक अध्यापिकायें उपस्थित रहे। प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। मर्यादा पुरूशोत्तम भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दशमी को ‘विजयादशमी‘ के नाम से जाना जाता है।
इस दिन लोग शस्त्र पूजा करते है और नया कार्य प्रारम्भ करते है, जैसे-अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना ) ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन स्थान-स्थान पर मेले लगते है। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाता है अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनो ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है। दशहरा हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों-काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा, और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है ।विजयादशमी पर्व के अवसर पर विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत सर्वप्रथम रामचरित मानस के सभी काण्डों के आधार पर संक्षिप्त अभिनय छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया।
राम वन गमन, सीता हरण, जटायु उद्धार, हनुमान एवं सुग्रीव की मित्रता से लेकर रावण दहन तक का मंचन हुआ। मंचन में आदित्य (राम), आस्था (सीता) अर्थव सेन (लक्ष्मण), दिव्यांस (हनुमान), अर्पित (रावण के रूप में), वर्णित (महाराज दशरथ), साक्षी (कौशिल्या), मोहनी (सुमित्रा), पारूल-(कैकेयी), सौम्या शुक्ला (जटायु), दिव्यांश राव (साधू वेश मे रावण), सेना मे पलक, अक्षत, सुग्रीव, सिवांश मेधावी एवं मरियम (नर्तकी) के रूप में बहुत मनमोहक एवं सुन्दर ढंग से अभिनय किया। प्रबन्ध निदेशक के निर्देशन में उप प्रधानाचार्या शिखा पाण्डेय की देखरेख में अंत में भव्यरूप में रावण के पुतले का निर्माण किया गया। विद्यालय के प्रांगण में लंकापति रावण का पुतले को विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक के साथ भगवान राम के रूप में शशांक सिंह द्वारा जलाया गया जिसको देखकर के सभी छात्र-छात्राओं ने भगवान श्री राम की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ जय-जयकार किया। इसी क्रम में भाषण कार्यक्रम में उत्कर्श, रिया, आकृति, तनय, श्रेया, प्रथमेश, सृष्टि, मिस्टी, सांझ, आदित्य आदि बच्चों ने दशहरा पर्व पर अपना-अपना विचार व्यक्त किया। इसी क्रम में कक्षा-6 से कक्षा-12 के छात्र-छात्राओं द्वारा हाउस बोर्ड प्रतियोगिता करायी गयी जिसमें सुभाष हाउस प्रथम, आजाद हाउस द्वितीय, टैगोर हाउस तृतीय एवं गांधी हाउस ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। अन्त में प्रबन्ध निदेशक ने बच्चों द्वारा श्री रामचरित मानस पर आधारित मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन चरित्र की प्रस्तुति को देखकर समस्त छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया । उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि दशहरा पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। दशहरा एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसे हर बच्चों को जानना चाहिए। विजयदशमी बहुत ही शुभ और एतिहासिक पर्व है। सभी लोगों को अपने अंदर के रावण को मार कर उस पर विजय प्राप्त कर हर्शोल्लास के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। जिस प्रकार एक अंधकार का नाश करने के लिए एक दीपक ही काफी होता है वैसे ही अपने अंदर के रावण का नाश करने के लिए एक सोच ही काफी है। इस अवसर पर विद्यालय, उप प्रधानाचार्या/प्रधानाचार्य शिखा पाण्डेय, राघवेन्द्र त्रिपाठी, उर्वशी शुक्ला, किरन मिश्रा सहित समस्त अध्यापक अध्यापिकाओं नें छात्राओं के मनमोहक कार्यक्रम को देखकर सराहना की तथा बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए विजयदशमी का पर्व मनाया।
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