अखिलेश्वर तिवारी/आलोक गुप्ता
जनपद बलरामपुर में तहसील उतरौला मुख्यालय पर श्री दुख हरण नाथ मंदिर परिसर में चित्रकूट धाम पर 21 सितंबर से चल रहे राम कथा के दूसरे दिन रविवार को अयोध्या धाम से पधारे कथावाचक सर्वेश जी महाराज द्वारा भगवान शंकर व सती के साथ दक्ष प्रजापति द्वारा किए गए अमानवीय कृत का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा की जिनकी बात कहीं रद्द न हो उन्हें नारद कहते हैं और नारद के कहने पर ही भगवान शंकर ने सती के साथ श्रृंगी और भृंगी को कनखल में भेजा था। सती जी के कनखल पहुंचने पर वहां सब उल्टा ही हो रहा था। पिता भवन जब गई भवानी, दक्ष त्रास काहुंन सनमानी। सादर भलेहि मिली एक माता, भगिनि मिली बहुत मुस्काता ।। सती जी को यह अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ कुंड में अपनी आहुति दे दी। समाचार सुनते ही भगवान शंकर ने अपने जटा के एक बाल से वीरभद्र की उत्पत्ति की जिसने दक्ष प्रजापति का सर धड़ से अलग कर दिया। देवताओं के अनुनय विनय से भगवान शंकर ने श्रृंगी और भृंगी की सहायता से दक्ष प्रजापति के धड़ पर बकरी का मस्तक लगाया जिससे यज्ञ संपन्न हुआ। सती जी का जन्म पुनः दक्ष प्रजापति के घर में मां पार्वती के रूप में हुआ। कथा में आए हुए सभी राम भक्तों ने बड़े ही उत्साह से राम कथा का श्रवण किया । श्री दुख हरण नाथ मंदिर के महंत मयंक गिरी ने बताया की राम कथा 29 सितंबर तक चलेगा और 30 सितंबर को पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ