किसी की जमीन का गायब हुआ हिस्सा,तो किसी की जमीन पर दूसरा बन गया हिस्सेदार
अपनी जमीन खतौनी में वापस दर्ज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे किसान
कमलेश
धौरहरा-लखीमपुर खीरी: धौरहरा तहसील क्षेत्र में अगर आपकी जमीन है,तो उसका पता तत्काल खतौनी से कर ले नहीं तो आपकी दौड़ धूप बढ़नी तय है। जी हां धौरहरा तहसील में कुछ वर्ष पहले बगैर जांच पड़ताल किए बनी नई खतौनी में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन किसी और के नाम हो गई या खातेदार का हिस्सा कई जगह बंट गया,जिसकी जानकारी होते ही बड़ी संख्या में किसानों की धड़कनें बढ़ गई व खतौनी पर अपनी जमीन वापस चढ़वाने के लिए लेखपाल से लेकर तहसील मुख्यालय तक की दौड़ धूप शुरू कर दी है,बावजूद कोई हल निकलता न देख इसका शिकार बने किसान मायूस होकर तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर लगाने को विवश है।
धौरहरा तहसील में खतौनी में आई खामियों की जानकारी कुछ माह पहले नया खसरा निकलवाते ही होने पर सैकड़ों किसानों में अफ़रातफ़री मची हुई है। हालात यह है कि किसान कंप्यूटराइज खतौनी में बड़े स्तर पर हुई गलती का शिकार बन तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर लगाकर अपनी ही जमीन को खतौनी पर अपने नाम करवाने की गुहार लगा रहे है,बावजूद उनकी समस्या हल होने का नाम नहीं ले रही है। इस बाबत ग्राम पंचायत अल्लीपुर के किसान रामेश्वर प्रसाद पुत्र सरजू प्रसाद ने एसडीएम को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया कि वर्तमान खतौनी में उनका हिस्सा गलत फीड हो गया है,गाटा संख्या 309 रकबा 0.024 व गाटा संख्या 316 रकबा 0.218 में उनका हिस्सा 1/5 था जो वर्तमान खतौनी में 29 लोगों में बांट दिया गया हैं। जिसके लिए उन्होंने लेखपाल से लेकर एसडीएम तक प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई, पर अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है। यही नही क़स्बा खमरिया निवासी राधेकृष्ण विश्वकर्मा जिनका खेत पैकापुर व खमरिया में भी है का हिस्सा नई खतौनी में कई लोगों में बांट दिया गया जो भी तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर लगा रहे है। इसी तरह समर्दा निवासी महबूब अली व कयामुद्दीन पुत्रगण मोहम्मद उमर के साथ भी हुआ जिनके पुत्र ने बताया कि उनका 20 बीघा खेत था जिसमें से चाचा कयामुद्दीन ने अपने हिस्से का 10 बीघा खेत 2010 में बेंच दिया था। बाकी उनके अब्बा महबूब अली के हिस्से का 10 बीघा खेत बचा था,उसको खतौनी में आधा दर्जन लोगों में बांट दिया गया है,जिसके लिए वह भी तहसील से लेकर जिले तक चक्कर लगा रहे है,पर अभी तक कही से सुधार होने की आस नहीं जगी है। इस बाबत जब तहसील में कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह दो चार किसानों की समस्या नहीं है, इस तरह से सैकड़ों किसानों की जमीनों में त्रुटि खतौनी में हुई है। इसकी जानकारी नया खसरा बनवाने पर ही होती है, अगर खतौनी कम्प्यूटराइज होते वक्त इसका ध्यान दे दिया गया होता तो यह समस्या उत्पन्न नहीं होती। वही इस मामले को लेकर जब तहसीलदार आदित्य विशाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसी परेशानियों वाले किसान धारा 38 के तहत न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर अपनी समस्या का सुधार करवा सकते हैं।
आखिर किसकी गलती से दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हुए किसान
तहसील की खतौनी में किसानों की जमीन के हिस्से दूसरों के नाम होने को लेकर गावों से लेकर तहसील मुख्यालय तक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। इस बाबत किसान रमेश कुमार,जुगलकिशोर,प्रदीप,राजेन्द्र कुमार आदि का कहना है कि आखिर यह खतौनी में जो गलतियां हुई है उसका जिम्मेदार कौन है?किसकी गलती की वजह से किसानों को अपनी ही जमीन का पूरा हिस्सा खतौनी पर दर्ज करवाने के लिए तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर लगाने पड़ रहे है। इससे तो किसानों का समय के साथ भागदौड़ व मुकदमें बाजी में व्यर्थ ही हजारों रुपये खर्च होंगे तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? आदि बातों को लेकर गावों से लेकर तहसील मुख्यालय तक चर्चाओं का दौर जारी है। फ़िलहाल कुछ भी हो अगर समय रहते इसका सुधार न हुआ तो किसानों में जिम्मेदारों के प्रति नाराजगी बढ़नी तय है।
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