अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में 22 जुलाई को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पॉयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कॉलेज, बलरामपुर में ‘गुरू पूर्णिमा‘ पर्व मनाया गया। गुरू पूर्णिमा पर्व के अवसर पर विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा0 एम0पी0 तिवारी नें बच्चों को बताया कि हमारे देश में गुरूओं का बहुत सम्मान किया जाता है। क्योंकि एक गुरू ही है जो अपने शिष्य को गलत मार्ग से हटाकर सही रास्ते पर लाता है। इस दिन इस पर्व को मनाने के पीछे का एक कारण ये भी माना जाता है कि इस दिन महान गुरू महर्षि वेदव्यास जिन्होनें ब्रह्मासूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अठ्ारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना की एवं इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था। शास्त्रों मे आषाढ़ी पूर्णिमा को वेदव्यास का जन्म समय माना जाता है। इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरू के बिना एक शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं है।
रामायणकाल से लेकर महाभारतकाल तक गुरू का स्थान सबसे महत्वपूर्ण और सर्वोच्च रहा है। गुरू की महत्ता को देखते हुए ही महान संत कबीरदास जी ने लिखा है-‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरू आपे गोविंद दियो मिलाये‘। यानि एक गुरू का स्थान भगवान से भी कई गुना ज्यादा बड़ा होता है। इस दिन सभी शिष्य अपने-अपने गुरूओं का आशीर्वाद लेतें हैं और उन्होंने अब तक जो कुछ भी दिया है उसके लिए धन्यवाद करते है। विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा कला प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कला प्रतियोगिता में सिदरा परवीन, रितिका सिंह, जानवी, नबीला, अदिति, साहवी महमूद, आदित्य, मेधावी सिंह, मेधात्री सिंह, मरियम, आराध्य, तान्या, सौर्य प्रताप सहित अन्य छात्र-छात्राओं ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बहुत ही सुंदर-सुंदर चित्र बनाकर अपने- अपने कला का प्रदर्शन किया ।सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुरू वन्दना के अन्तर्गत समूह नृत्य गीत-गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु गुरू देव महेश्वरा नामक गीत पर मेधावी, रत्नप्रिया, मरियम, अनुष्का, सौम्या, यशवी, श्रृष्टि एवं आशी नें बहुत ही मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करके गुरू की महिमा का वर्णन किया। साथ ही इस अवसर पर सभी अध्यापक अध्यापिकाओं का छात्र-छात्राओं ने उनका सम्मान करते हुए आरती की थाल सजाकर आरती उतारी । अंत में विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा0 एम0पी तिवारी ने गुरू के महिमा के बारे में वर्णन किया तथा छात्र-छात्राओं को बताया कि हमें अपने गुरू का सदैव आदर व सम्मान करना चाहिए एवं उनके बताये हुए रास्तों पर चलना चाहिए। इस अवसर पर उप प्रधानाचार्या प्रधानाचार्य शिखा पाण्डेय, राघवेन्द्र त्रिपाठी सहित समस्त अध्यापक अध्यापिकाएँ उपस्थित रहे।
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