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धान में पौधशाला प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण सम्पन्न

 


गोंडा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर द्वारा धान में नर्सरी प्रबंधन विषयक एक दिवसीय  ऑफ केंपस प्रशिक्षण दिनांक 14 जून 2024 दिन गुरुवार को ग्राम बैरीपुर विकासखंड मनकापुर में संपन्न हुआ। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ.रामलखन सिंह ने बताया कि नर्सरी डालने से पूर्व बीज का शोधन अवश्य कर लें। जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग के प्रकोप की संभावना वाले क्षेत्रों में 4 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन सल्फेट या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसीन को पानी में मिलाकर घोल बनाएं। इसमें 25 किलोग्राम धान बीज को रात भर भिगो दें। दूसरे दिन बीज को छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। यदि क्षेत्र में शाकाणु झुलसा रोग की समस्या नहीं है तो 25 किग्रा० बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन अतिरिक्त पानी निकाल दें । इसके बाद 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8-10 लीटर पानी में घोलकर बीज में मिलायें तथा छाया में गीले बोरे से ढंक दें । बीज अंकुरित होने पर नर्सरी में बुवाई करें । डॉ अजीत सिंह वत्स फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ने बताया कि थीरम या कार्बेंडाजिम के स्थान पर जैव फफूंदीनाशक ट्राइकोडर्मा पाउडर की 5 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज का शोधन कर सकते हैं । एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई के लिए इसके लगभग बारहवें भाग (800 वर्ग मी० क्षेत्रफल ) में नर्सरी तैयार की जाती है। इसमें महीन धान का 30 किग्रा०और मोटे धान के 40 किग्रा० बीज की जरूरत होती है । ऊसर भूमि में इसकी सवा गुनी मात्रा की जरूरत होती है। 800 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में नर्सरी तैयार करने हेतु यूरिया की 14.0 किलोग्राम मात्रा, डीएपी की 8.70 किलोग्राम मात्रा की जरूरत होती है । खैरा रोग से बचाव हेतु जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत की 400 ग्राम मात्रा को 1.60 किलोग्राम यूरिया या 200 ग्राम बुझे हुए चूने को 80 लीटर पानी में घोल बनाकर एक सुरक्षात्मक  छिड़काव 20 की बुवाई के 10 दिन बाद करें। झोंका रोग की रोकथाम के लिए कार्बेंडाजिम 50 डब्ल्यूपी  की 40 ग्राम मात्रा, भूरा धब्बा रोग की रोकथाम के लिए मैंकोजेब 78% की 160 ग्राम मात्रा को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। नर्सरी में कीटों से सुरक्षा हेतु क्लोरपाइरीफास 20 ईसी की 100 मिलीलीटर मात्रा को पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें । सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु 320 ग्राम फेरस सल्फेट को 1.60 किलोग्राम यूरिया  के साथ पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। नर्सरी में पानी गर्म होने पर उसे निकाल कर पुनः ताजे पानी से सिंचाई करना चाहिए । डॉक्टर ज्ञानदीप गुप्ता मत्स्य वैज्ञानिक ने बताया की तापमान अधिक होने के कारण नर्सरी की सिंचाई शाम के समय करें। इस अवसर पर बलराम मिश्रा विषय वस्तु विशेषज्ञ व प्रभात मिश्रा एसोशिएट ब्लाक कोआर्डिनेटर पानी संस्थान ने धान की सीधी बुवाई की जानकारी दी। इस अवसर पर संतराम प्रजापति, रामकुमार आदि प्रगतिशील कृषकों ने धान में पौधशाला प्रबंधन व धान की सीधी बुवाई की जानकारी प्राप्त की।

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