डॉ ओपी भारती
वजीरगंज (गोंडा) पूरी दुनिया जहाँ आज 21 जून को योग दिवस मना रही है, वहीं योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि आज भी अपने परिचय के लिए मोहताज है। पतंजलि की जन्मभूमि को पहचान दिलाने के लिए स्वामी भगवदाचार्य ने अपने स्तर से 1994 से काफी प्रयास किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और तमाम जिम्मेदार लोगों को पत्र लिखा लेकिन कही से भी इस क्षेत्र के व जन्म स्थली के लिए कोई पहल नही हुई हैं।
गोंडा से लगभग 40 व अयोध्या से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वज़ीरगंज विकास खंड के अंतर्गत कोंडर गांव को महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान माना जाता है । पतंजलि के जन्म स्थान के विषय मे ऐसी भी मान्यता है कि यह स्थान भगवान श्रीराम के गायों के चरने के कारण अस्तित्व में आया था। यह स्थान पहले गोनार्द् के नाम से जाना जाता था, यहां मां गोंडिका के गर्भ से महर्षि पतंजलि उत्पन्न हुए थे। यहीं पर रहकर उन्होंने लोगों को योग की शिक्षा दी थी। कोडर गांव के किनारे एक झील भी है। जिसे कोडर झील कहा जाता है।
आज विश्व योग दिवस पर न्यास के अध्यक्ष स्वामी भगवदाचार्य ने योग कर लोगों को निरोग रहने का संदेश देकर योगदिवस मनाया। कार्यक्रम में तरबगंज ब्लॉक प्रमुख मनोज पांडेय, वजीरगंज ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि पंकज सिंह, आरएसएस के कार्यवाह ओमप्रकाश पांडेय व रविन्द्र भारती ने सामूहिक रूप से महर्षि पतंजलि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
शुक्रवार को विश्व योगदिवस भारत सहित 193 देशों ने मनाया। सयुंक्त राष्ट्रसंघ ने 21 जून को योग को मान्यता देते हुए योगदिवस मनाने की घोषणा की थी तब से ये दिवस मनाया जा रहा है। किंतु योगविद्या के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली पर योगदिवस के दिन भी खामोशी रही। प्रदेश सरकार ने योगदिवस को वृहद रूप से मनाने की तैयारी की थी किन्तु पतंजलि के जन्मस्थान पर किसी अधिकारी व प्रमुख प्रतिनिधि ने आना मुनासिब नही समझा।
बन रहा महर्षि पतंजलि का मंदिर
विधायक प्रेमनारायण पांडेय के सौजन्य से पतंजलि जन्मभूमि पर महर्षि का मंदिर निर्माण प्रगति पर है। प्रधानप्रतिनिधि विपिन सिंह ने बताया कि मंदिर निर्माण पर लगभग 50लाख रुपये की लागत आएगी।वहीं पर्यटन विभाग ने जन्मस्थान के उद्धार के लिए एक करोड़ 18 लाख की परियोजना मंजूर की है जिससे चारदीवारी, भवन, इंटरलॉकिंग व अन्य संसाधन का निर्माण होगा।
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