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पुलिसिया उत्पीड़न से परेशान युवक ने कलेक्ट्रेट में किया आत्मदाह का प्रयास, पूरा मामला जानकर रह जाएंगे दंग

 

अखिलेश्वर तिवारी 

डेस्क: राजस्व विभाग की लापरवाही के कारण जमीनी विवादों का निस्तारण लंबित रह जाता है, जिसका विपक्षी भी जमकर फायदा उठाते हैं। ऐसे में अगर विपक्षी में खाकी रंग शामिल हो, तो उसे और बल मिल जाता है। इसके बाद उसकी ना पुलिस सुनती है, ना राजस्व विभाग सहयोग करता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद में देखने को मिला है, जहां पुलिस उत्पीड़न और जमीन के विवाद में न्याय न मिलने से परेशान युवक ने कलेक्ट्रेट परिसर आत्मदाह करने का प्रयास किया। हालांकि कलेक्ट्रेट में तैनात कर्मियों के तत्परता से युवक के आत्मदाह का प्रयास असफल कर दिया गया। मामले में जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होकर युवक ने नोटरी के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेरियल जांच के साथ आरोपियों के विरुद्ध यूपी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए आदेश दे दिया है। मामले से पुलिस के हाथ पांव फूल गए हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार को बलरामपुर जनपद के रेहरा बाजार थाना अंतर्गत सोना पार्क गांव के रहने वाले राजू पुत्र सुधई ने दबंगों को और पुलिस पर आरोप लगाते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में आत्मदाह करने का प्रयास किया। लेकिन कलेक्ट्रेट में मौजूद कर्मियों के सूझबूझ से बहुत बड़ा हादसा होते-होते टल गया। मामले में पीड़ित को जिलाधिकारी के समक्ष पेश किया गया। जहां पीड़ित ने बताया कि घर के पीछे आबादी की जमीन है। जिसमें खड़ंजा लगा हुआ है। गांव के रहने वाले राम बच्चन कन्हाई और गुरु वचन ने खड़ंजा मार्ग को लकड़ी से अवरुद्ध कर दिया है। पीड़ित नहीं है अभी कहा कि विपक्षी उसके निजी जमीन पर जबरन रास्ता निकालना चाहते हैं।

पुलिस पर आरोप

जिलाधिकारी को दिए गए रोटरी बयान में पीड़ित ने कहा कि विपक्षी कन्हाई रेहरा बाजार पुलिस में चौकीदार के पद पर तैनात है। वही उसका भाई पुलिस में कांस्टेबल है, जो डायल 112 में तैनात है। चौकीदार और सिपाही के कारण से उसकी पुलिस में सुनवाई नहीं हो रही है।

पुलिस करती है उत्पीड़न

नोटरी में पीड़ित ने कहा कि रेहरा बाजार पुलिस में उसने अपनी समस्या को लेकर कई बार शिकायत दर्ज कराई लेकिन जब जब शिकायत की तब तब पुलिस ने उसे न्याय दिलाने के बजाय उसी का उत्पीड़न किया। 

पुलिस अधीक्षक से भी नहीं मिला न्याय

जिलाधिकारी को दिए गए नोटरी बयान में पीड़ित राजू ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अपनी समस्या को लेकर वह दो बार बलरामपुर पुलिस अधीक्षक से मिला लेकिन कोई विशेष कार्रवाई नहीं हुई। विपक्षियों के प्रताड़ना से तंग होकर वह आत्मदाह करने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचा था।

एक्शन में डीएम

 मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने पीड़ित के शिकायतों पर मजिस्ट्रियल जांच टीम गठित कर दी है। जिलाधिकारी ने पीड़ित को आश्वस्त करते हुए कहा कि यदि पुलिस भी दोषी होगी तो उसके खिलाफ भी गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। 

जांच में आ सकती है आंच

हालांकि जिलाधिकारी ने मामले में मजिस्ट्रेटरियल जांच का आदेश दिया है, जिससे उम्मीद है कि पीड़ित को न्याय मिल जायेगा। विवाद वास्तविक रूप से जमीन से जुड़ा हुआ है, जिससे राजस्व कर्मी थी जांच में दोषी साबित हो सकते हैं।

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