अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के अंतर्गत भारत नेपाल सीमा की रक्षा हेतु तैनात सशस्त्र सीमा बल नवीं वाहिनी के कोयला बास सीमा चौकी पर विद्युत सप्लाई न होने के कारण तमाम कठिनाइयों क सामना करना पड़ रहा है । एसएसबी द्वारा कई बार लिखा-पढ़ी भी की गई परंतु समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो सका है।
जानकारी के अनुसार बलरामपुर जिले में भारतसे नेपाल जाने वह आने के लिए एकमात्र सड़क मार्ग कोयला वास होकर गुजरता है । जानकारों की माने तो 80 के दशक में गुलजार रहने वाले नेपाल का कोयला बास तथा भारत का जारवा कस्बा आज अपने अस्तित्व को भी नहीं बचा पा रहा है । 2000 के दशक में भारत नेपाल सीमा की सुरक्षा हेतु सशस्त्र सीमा बल की तैना की गई । उस दौरान भारत से जरवा होकर नेपाल में विद्युत सप्लाई जाया करती थी, जिसका उपयोग सीमा पर बनाई गई एसएसबी की सीमा चौकी पर भी किया जाता था । समय के साथ सेना को आधुनिक बनाया गया । इसमें एसएसबी भी पीछे नहीं रही । वर्तमान समय में एसएसबी द्वारा सीमा पर आधुनिक मशीनों के जरिए आने जाने वालों तथा उनके सामन की चेकिंग करने का प्रावधान है, परंतु विद्युत सप्लाई न होने के कारण स्कैनर मशीन तथा अन्य उपकरण सुचारू रूप से संचालित नहीं होपा रहे हैं । बताया जा रहा है कि पूर्व में की जा रही विद्युत सप्लाई के पोल तथा तार अभी भी लगे हुए हैं । कुछ तार बीच-बीच में टूट गए हैं, जिसे रिपेयर करके विद्युत सप्लाई बहाल की जा सकती है । एसएसबी के अधिकारियों द्वारा विद्युत विभाग तथा प्रशासन से कई बार पत्राचार के माध्यम से विद्युत सप्लाई बहाल करने के लिए अनुरोध किया जा चुका है, इसके बावजूद भी सुरक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण बिंदुओं की अनदेखी की जा रही है । इसमें कोई शक नहीं है कि सीमा पर सशस्त्र सीमा बल की तैनाती के बाद से तस्करी, घुसपैठ व बनो की अवैध कटान में बड़ी कमी आई है । सीमा चौकी कोयला बास पूरी तरह सोलर लाइट तथा जनरेटर पर आधारित है, जबकि दूसरी ओर नेपाल की प्रहरी के सीमा चौकी पर विद्युत रोशनी की जगमगाहट दिखाई दे रही है । क्या भारत की व्यवस्था नेपाल से भी कमजोर है, जो आपने सुरक्षा जवानों को विद्युत सप्लाई भी नहीं दे पा रही है ? यह एक बड़ा प्रश्न है जो देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसे लेकर शासन व प्रशासन को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है ।
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