पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा)कस्बे के काली कुंड मंदिर पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन कथा व्यास पं मधुर गोपाल शास्त्री ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।महिला श्रद्धालुओं ने विवाह के अवसर पर मंगल गीत गाए।
प्रसंग में शास्त्री ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।
कथा व्यास ने बताया कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ।
इस मौके पर मनकापुर विधायक रमापति शास्त्री और प्रतिनिधि वेदप्रकाश दूबे ने कथा व्यास को सम्मानित कर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान कथा के मुख्य यजमान सामूहिक भागवत कथा है लेकिन ये मुख्य यजमान- तीरावती पत्नी ओंकारनाथ तिवारी, पुष्पा तिवारी पत्नी शेर बहादुर तिवारी, रूपम पत्नी प्रकाश नारायण तिवारी, सावित्री देवी पत्नी प्रह्लाद पटवा,सुमन मद्धेशिया पत्नी उमेश मद्धेशिया, चंदन श्रीवास्तव सहित सैकड़ों की संख्या श्रद्धालु मौजूद रहे।
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