रेंज पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर जंगल मे छोड़ने की कवायद हुई शुरू
कमलेश
धौरहरा-खीरी:उत्तर खीरी वन रेंज धौरहरा क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से तेंदुओं का गढ़ बना हुआ है। पड़ोसी जनपद बहराइच के कर्तनिया व मोतीपुर वन रेंज के जंगलों से निकलकर घाघरा नदी पार कर धौरहरा रेंज की गनापुर,कैरातीपुरवा,जंगल मटेरा समेत अन्य बीटों में तेंदुए अपना रैन बसेरा बनाकर आये दिन एक नई घटना को अंजाम देकर क्षेत्र में दहशत बनाये हुए है। वही तेंदुओं की आमद होने के बाद क्षेत्र में आमजन के बीच फैल रहे डर को अस्थाई रूप से कम करने के लिए वन विभाग पिंजड़ों के जरिये कम करने का प्रयास तो कर रहा है पर स्थाई रूप से उत्पन्न समस्या को समाप्त करने में बेबस दिखाई दे रहा है,जिसका खामियाज़ा आये दिन क्षेत्रवासियों को अपनी जान जोखिम में डालकर भुगतना पड़ रहा है। इसी क्रम में पिछले कुछ दिनों से धौरहरा कस्बे के आस पास भटक रहे तेंदुए को वन विभाग ने बुधवार को रात पिंजड़े में कैद करने में कामयाबी हासिल तो कर ली पर क्षेत्रवासियों में अभी भी जंगली जानवरों को लेकर डर बना हुआ है।
उत्तर खीरी वन रेंज धौरहरा क्षेत्र के क़स्बा धौरहरा समेत आस पड़ोस के गावों में पिछले कई दिनों से विचरण कर लोगों में दहशत फैला चुके तेंदुए को बुधवार की रात मटेरा बीट के लहबड़ी गांव के पास लगे पिंजड़े में वन विभाग ने कैद कर राहत की सांस ली है। वही तेंदुए को पिंजड़े समेत रेंज कार्यालय पर लाकर गुरुवार को डाक्टरों को बुलाकर उसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद जंगल मे छोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। बताया जाता है कि पिंजड़े में कैद हुए तेंदुआ नर है जिसकी उम्र करीब एक वर्ष होगी। बताते चले कि कस्बा धौरहरा व उसके आस पास के क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुका तेंदुआ कुछ दिनों से क्षेत्र में विचरण कर रहा था जिसकी लोकेशन कस्बा धौरहरा के पास विधायक के खेत में मिली थी जहां लगे कैमरे में क़ैद होने के बाद से क्षेत्रवासी डरे सहमे थे। ग्रामीणों ने जल्द ही इसे पकड़ने के लिए काफी हंगामा मचाया था। जिसके बाद वन विभाग ने आनन फानन में लहबड़ी गांव के पास पिंजड़ा लगाकर उसके कैद होने का इंतजार शुरू कर दिया गया जो बुधवार को रात में तेंदुए के कैद होने के बाद पूरा हुआ। तेंदुए के कैद होते ही रेंजर समेत अन्य वन कर्मी पिंजड़े के पास पहुचकर तेंदुए को पिजड़ा समेत रेंज कार्यालय लाये जहां गुरुवार को उसका स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर जंगल मे छोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई। वही इस बाबत विस्तृत जानकारी के लिए जब वह क्षेत्राधिकारी एनके चतुर्वेदी समेत रेंज पर तैनात अन्य वन अधिकारी व कर्मचारियों से जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फ़ोन तक रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।
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