गोंडा:धान की सीधी बुवाई उचित नमी पर यथा सम्भव खेत की कम जुताई करके अथवा बिना जोते हुए खेतों में आवश्यकतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिल मशीन से की जाती है। डॉक्टर मिथिलेश कुमार पांडेय वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा ने बताया कि धान की सीधी बुवाई से रोपाई एवं लेव लगाने की लागत में बचत होती है एवं फसल समय से तैयार हो जाती है । अगली फसल की बुवाई उचित समय में होने से दोनों फसलों की उत्पादकता बढ़ जाती है। डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर ने बताया कि धान की सीधी बुवाई मध्य जून से पहले (मानसून आने के पूर्व) अवश्य कर लेना चाहिए, ताकि बाद में अधिक नमी या जल जमाव से पौधे प्रभावित न हो। इसके लिए सर्वप्रथम खेत में हल्का पानी देकर उचित नमी आने पर आवश्यकतानुसार हल्की जुताई या बिना जोते जीरो टिल मशीन से बुवाई करनी चाहिए। जुताई यथासंभव हल्की एवं डिस्क हैरो से करनी चाहिए या नानसेलेक्टिव खरपवतवारनाशी जैसे ग्लाईफोसेट या पैराक्वाट या ग्रेमेक्जोन का प्रयोग करके खरपतवारों को नियन्त्रित करना चाहिए। खरपतवारनाशी प्रयोग के तीसरे दिन बाद पर्याप्त नमी होने पर बुवाई करनी चाहिए। जहां पहले ही खेत में पर्याप्त नमी मौजूद हो, वहां आवश्यकतानुसार खरपतवार नियंत्रण हेतु हल्की जुताई या प्रीप्लान्ट नानेसेलेक्टिव खरपवनारनाशी जैसे ग्लाइसेल या ग्रेमेकसोन 2.0 से 2.50 ली. प्रति हे. छिड़काव करके 2-3 दिन बाद मशीन से बुवाई कर देनी चाहिए।
धान की बुवाई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन कर लेना चाहिए, जिससे बीज की मात्रा 20 से 25 किग्रा. एवं डीएपी की मात्रा 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई तीन से चार सेंटीमीटर गहराई में हो सके । बुवाई के समय बीज ड्रिल की नली जाम होने पर बीज नहीं गिरता है। यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग टाप ड्रेसिेंग के रूप में धान पौधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई उपरान्त करना चाहिए। बुवाई करते समय पाटा लगाने की आवश्यकता नहीं होती। सीधी बुवाई में खरपतवार अधिक आते है । बुवाई के पश्चात 48 घंटे के अन्दर पेन्डीमीथिलिन 30 ईसी की 3.30 लीटर मात्रा को प्रति⁄हे.की दर से 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिये तथा यह छिड़काव समान रूप से सारे खेत में करना चाहिये। दवा खरपतवारों के जमने के पूर्व ही उन्हें मार देती है। बाद में यदि चौड़ी पत्ती के खरपतवार दिखाई दें, तो 2, 4–डी 80% सोडियम साल्ट की 625 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। खड़ी फसल में बाद में उगने वाले खरपतवार निराई करके निकाल देना चाहिए वैसे निचले धनखर खेतों में जल भराव के कारण खरपतवार कम आते है। ऊपरिहार भूमि में बुवाई के तीन सप्ताह बाद बाइसपेरिबैक सोडियम 10% एससी की 200 मिलीलीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का नियंत्रण होता है।धान की नर्सरी उगाने में होने वाला खर्च बच जाता है। डॉ. ज्ञानदीप गुप्ता मत्स्य वैज्ञानिक ने बताया कि मत्स्य तालाबों में पानी का स्तर बनाए रखें, पानी कम होने पर ताजा पानी तालाबों में भरें। धान फसल के साथ मछली पालन कर किसान भाई ज्यादा लाभ कमा सकते हैं ।
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