अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में 10 मई को भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पावन पर्व पर बलिदानी पार्क में व्यवस्थापक अशोक आर्य प्रचार मंत्री आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश ने वेद मंत्र पाठ के साथ यज्ञ पूजन किया तथा भूमि दाता विजय प्रताप मिश्र पुजारी प्राचीन शिव मंदिर खलवा बलरामपुर ने ईश्वर से प्रार्थना किया कि "हे परमेश्वर ब्राह्मणों को उनके 6 कर्म करने की प्रेरणा देकर कर्म से भी ब्राह्मण बनाओ नहीं तो ब्राह्मण समाज जन्म से ब्राह्मण होने के घमंड में चूर होकर चोटी, जनेऊ, यज्ञ, वेद को भूलता हुआ मांस, मदिरा ,अंडा, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट आदि कुकर्म की दलदल में धंस कर समाप्त हो जाएगा । प्रचार मंत्री ने भगवान परशुराम को समर्पित किया पाठ किया ।
पुरतः चतुरो वेदाः ,पृष्ठतः सशरं धनु:।
इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।।
(मुख चारों वेदों से सुशोभित, पीठपर शरों सहित धनुष, एक ओर तो ब्राह्मण - तेज रूपी शास्त्र और दूसरी ओर क्षत्रियोचित शस्त्र ) यह श्लोक आज के ब्राह्मणों को भी शायद प्रेरित कर सके । उन्होंने कहा कि देखिये गोस्वामी तुलसी दास जी भगवान परशुराम को किस रूप में देखते हैं ।
वृषभ कंध अरु बाहू विशाला । चारु जनेऊ माल मृगछाला।।
कटि मुनि बसन तून दुई बांधे। धनु सर कर कुठारु कल काँधे । यहाँ तुलसी फरसे को भी समाहित कर लाये । अब राष्ट्र कवि दिनकर का यह व्यक्तित्व निरूपण देखिये - मुख में वेद पीठ पर तरकस ,कर में कठिन कुठार विमल ।
शाप और शर दोनों ही थे जिस महान ऋषि के संबल ।।
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