डेस्क:पत्नी के प्रसव के दिनों में भी सिपाही को थानाध्यक्ष ने कप्तान के आदेश का हवाला देकर छुट्टी नहीं दी। जैसे तैसे करके सिपाही जब घर पहुंचा, तब उसकी उसकी पत्नी और नवजात मासूम दुनिया से विदा हो गई थी। अब यह मामला सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसमे थाना प्रभारी को दोषी बनाया जा रहा है,हालांकि मामले में पुलिस प्रशासन ने आरक्षी को छुट्टी नहीं मिलने के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दिया है।
मामला उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद जनपद अंतर्गत
रामपुरा थाना से जुड़ा है। कांस्टेबल ने छुट्टी के लिए फरियाद की थी, लेकिन पुलिस अधीक्षक के आदेश का हवाला देकर थाना प्रभारी ने छुट्टी देने से साफ मना कर दिया। लेकिन सिपाही अपने पत्नी के नाजुक दिनों को समझ रहा था, उसने पुलिस अधीक्षक से जाकर छुट्टी की फरियाद लगाई, वहां उसे छुट्टी तो मिल गई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कांस्टेबल छुट्टी लेकर जा अपने गृह जनपद पहुंचा तब, कांस्टेबल विकास की पत्नी निर्मला एवं उसके नवजात की मौत हो चुकी थी। दोनों के जीते जी, कांस्टेबल उन्हें एक पल के लिए भी नहीं देख सका। थाना अध्यक्ष के निर्दयता से कांस्टेबल को समय से छुट्टी नहीं मिली, सिपाही की पीड़ा शब्दों में पिरोकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसकी मृत पत्नी, के साथ फोटो वायरल हो रहा है।
वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सिपाही SO छुट्टी की जायद मांग करता रहा, जिसमें उसने कारण भी दर्शाया था कि, उसके पत्नी की डिलीवरी होनी है वह अस्पताल में भर्ती है। लेकिन पुलिस अधीक्षक के आदेश का हवाला देकर थाना अध्यक्ष ने सिपाही को घर जाने की छुट्टी नहीं दी। इसी दौरान सिपाही की पत्नी और उसके नवजात की अस्पताल में मौत हो गई। तब सिपाही ने पुलिस अधीक्षक से छुट्टी की गुहार लगाई, गृह जनपद मैनपुरी पहुंचने पर उसे उसकी पत्नी और नवजात मृत अवस्था में मिले।
मामले को गंभीरता से लेते हुए, आरक्षी के द्वारा छुट्टी मांगने पर उसे अग्रसारित न करने के बाबत अपर पुलिस अधीक्षक जालौन द्वारा जांच की जा रही है, जांच में थाना अध्यक्ष जांच में दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ धारा 14(2) के तहत कार्यवाही की जाएगी। वहीं पुलिस अधीक्षक ने आरक्षी को 19 अप्रैल से 30 दिन के लिए उपार्जित अवकाश पर रवाना किया है।
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