कमलेश
लखीमपुर खीरी। पलिया क्षेत्र के जनकपुर गाँव में चल रही सात दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे दिन कथाव्यास पं0 बाबूराम ओझा ने सीता स्वंबर प्रसंग का बखान किया। उन्होंने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा था। उनके विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते समय धनुष को उठाकर दूसरी जगह रखा। इसे देखकर जनक आश्चर्यचकित हुए, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का स्वयंवर होगा। स्वयंवर की निर्धारित तिथि पर सभी देश के राजा और महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। धनुष को उठाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। धनुष टूटने का प्रसंग टूटते ही पंडाल में जय श्री राम के जयघोष लगे। इस मौके आचार्य कमलेश अवस्थी आचार्य सचिन पाण्डेय ने ज्ञान के बारे में बताया कि जिसमें किसी भी प्रकार के मान और अपमान का भाव न हो, जिसकी दृष्टि में सारा जगत ब्रह्ममयी दिखाई दे,जिसके नेत्रों में निरंतर ईश्वर का निवास हो, यत्र तत्र सर्वत्र जिसको जगत में हरि ही नजर आएं वह भक्त ज्ञानी है। उन्होंने कहा कि रामकथा सुनने से जिदगी का बेड़ा पार हो जाता है और प्राणियों का उद्धार होता है,जो लोग इस संसार रूपी भवसागर से पार पाना चाहते हैं उसके लिए सिर्फ राम नाम की नौका काफी है। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्त कथा सुनकर भाव विभोर हो रहे है।
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