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जब खुले में शौच के विरुद्ध अजय क्रांतिकारी ने भरे जन मानस के कान



वेदव्यास त्रिपाठी 

 जनपद प्रतापगढ़ सहित पूरे देश के लिए एक क्रांतिकारी दिवस था जब जिला स्वच्छता समिति और यूनिसेफ लखनऊ के द्वारा तत्कालीन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ डॉ.आदर्श सिंह और  मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में पहली बार देश को गंदगी मुक्त बनाने के लिए समुदाय आधारित सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के जरिए खुले में शौच से मुक्ति का अभियान जिसे पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने स्वच्छता महासंग्राम का नाम दिया के प्रशिक्षण का शुभारंभ क्षेत्रीय ग्राम्य विकास संस्थान अफीम की कोठी में हुआ।प्रशिक्षण ऐसा कि लोगों को अंदर से झकझोर रहा था,लोग इंसान हैं या जानवर कुछ समझ नहीं आ रहा था,लोगों में खुले में शौच की कुप्रथा को बढ़ावा देने का पश्चाताप ही दिखाई दे रहा था।साथ ही यह भी मन की चिंताओं को बढ़ा रहा था कि आजा-बाबा के जमाने से पहले की व्यवस्था को क्या लोगों को समझा बुझा कर एक ही झटके में बंद किया जा सकता है?क्या लोग हमें स्वीकार कर पाएंगे जब उनके पेट में उठ रहे दर्द के समय यह कहें कि आज या अब खुले में शौच करने नहीं जाना है।लेकिन इन सभी सवालों के सरल जवाब तब मिलने लगे  जब समुदाय के साथ उन्हीं का मल उनके सामने और साथ में जब यह कह कर मल विच्छेदन किया कि आप ने ही खुले में शौच करके अपनी और गांव की नाक कटाई है।इस बुराई से गांव को मुक्त कौन करेगा।तब लोगों को अहसास हुआ कि सदियों पहले की परंपरा अब कुप्रथा का रूप ले लिया है को जो सभ्य मानव समाज के लिए अभिशाप है।तब शुरू हुआ स्वच्छता महासंग्राम और हर कोई स्वच्छता सेनानी बनकर खुले में शौच के विरुद्ध खड़ा हुआ और आज 10 वर्षों में भारत वर्ष खुले में शौच की कुप्रथा से आजाद हुआ है।स्वच्छता  महासंग्राम को पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने अपने हजारों पर्यावरण सैनिकों के साथ इस अभियान को भारत देश को गंदगी से मुक्त कराने की राष्ट्रीय भावना से पूरे मनोयोग से लिया।प्रशिक्षण के बाद उन्होंने तब तक भर पेट भोजन करना बंद कर दिया था जब तक अपने घर पर शौचालय नहीं बनवा लिए और प्रयोग नही करने लगे। इससे समुदाय को भी प्रेरणा मिली,फिर क्या था किया युवा,क्या महिलाएं और क्या बुजुर्ग।सभी ने रातों रात अपने शौचालय के लिए गड्ढे स्वयं बनाकर शौचालय निर्माण में लग गए और जो तुरंत नहीं बना पा रहे थे वे लोग मलत्याग के बाद अपने मल को मिट्टी से ढकने लगे।सबका एक मकदस बन गया कि हमारे मल पर मक्खी नही बैठेगी और हमारा भोजन पानी प्रदूषित न हो।स्वच्छता महासंग्राम में पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी के नेतृत्व में कारवां बढ़ता गया और पूरे देश प्रदेश में अजय क्रांतिकारी की ख्याति अर्जित होने लगी।जिसके लिए जिलाधिकारी और मंडलायुक्त महोदय द्वारा कई बार सम्मानित किया गया।पंचायतीराज विभाग द्वारा अजय क्रांतिकारी को सीएलटीएस चैंपियन के रूप में चुना गया।पूरे स्वच्छता अभियान में प्रदेश के अन्य जिलों और देश के छत्तीसगढ़,बिहार सहित अन्य राज्यों में भी अजय क्रांतिकारी को स्वच्छता अभियान में सहयोग के लिए आमंत्रित किया जाने लगा।

आज उस ऐतिहासिक दिन को याद करके पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी कहते हैं कि राष्ट्र धर्म से बड़ा कुछ नहीं है।राष्ट्र की समस्याओं को पहचान उससे मुक्ति दिलाना ही देश सेवा है।आज हमारा देश ही पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन जैसे संकट के दौर से गुजर रहा है।हमें देश सहित पूरी धरती को प्रदूषण से बचाने का कार्य करना होगा जिससे इस दुनिया को जलवायु संकट से बचाया जा सके।

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