गोंडा:गुरुवार को गोंडा नगर पालिका अध्यक्ष उजमा राशिद के खिलाफ एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने उनके सभी वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों पर रोक लगा दी है। प्रशासन ने नगर पालिका अध्यक्ष पर शत्रु संपत्ति प्रकरण में आरोप सिद्ध होने के बाद यह कार्यवाही की है। शासन के आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त शासन से पालिका अध्यक्ष उजमा राशिद को नोटिस ही दिया गया है।
क्या है पूरा मामला
बताते चलें कि गोंडा नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष उजमा राशिद के खिलाफ अवैध रूप से शत्रु संपत पर कब्जा करने का आरोप है, इस बाबत उनके खिलाफ नगर कोतवाली में विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। गोंडा नगर पालिका परिषद के दस्तावेजों में कूटरचित तरीके से शत्रु संपत्ति को नगर पालिका अध्यक्ष के नाम अंकित कर दिया गया था। बताते चलें कि गोंडा नगर पालिका परिषद अंतर्गत रकाबगंज में दुकान संख्या 15 और 16 सत्र सम्पत्ति है, वर्ष 1967 में देशभर की समस्त शत्रु संपत्तियों को गृह मंत्रालय नई दिल्ली के नाम हस्तांतरित करते हुए संरक्षक बनाया गया था। इसके बावजूद नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा वर्ष 2020 में दुकान संख्या 15 और 16 को अवैध रूप से कब्जा किए जाने का प्रकरण सामने आया था। मामले में जांच करवाने पर वास्तविकता सामने आ गई थी, जिसमें पाया गया था कि वर्ष 2001 में नगर पालिका अध्यक्ष उजमा राशिद ने शत्रु सम्पत्ति पर किराएदार बनकर अपने नाम हस्तांतरित करवा लिया था। मामला उजागर होने के बाद इस आशय की पुष्टि हुई थी कि शत्रु सम्पत्ति के समस्त दस्तावेजों में अनियमित व कूट रचना करके छेड़छाड़ किया गया है। इसके बाद उजमा राशिद के नाम शत्रु सम्पत्ति को अंकित कर दिया गया है।
इसी प्रकरण को लेकर गृह मंत्रालय भारत सरकार के आदेशानुसार जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने पूरे मामले में उजमा रशीद के खिलाफ गोंडा नगर कोतवाली पुलिस में विभिन्न गंभीर धाराओं में 17 मार्च को मुकदमा दर्ज कराया था।
नोटिस में क्या है?
प्रशासन द्वारा नगर पालिका अध्यक्ष को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि जब तक उजमा राशिद के खिलाफ लगे हुए सभी आरोप वियुक्त नहीं कर दिए जाते हैं, तब तक नगर पालिका अध्यक्ष के समस्त अधिकार पर यह आदेश प्रभावी रहेगा।
नगर मजिस्ट्रेट हुए प्रशासक
नगर पालिका अध्यक्ष के अधिकारों के बारे में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा कि शासन के आदेशानुसार उजमा राशिद के समस्त वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाते हुए नगर मजिस्ट्रेट को प्रशासक नामित किया गया है।
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