आनंद गुप्ता
पलिया कलां खीरी:सामाजिक संगठनों, पशु पक्षी प्रेमियों व समस्त मानवजाति से अपनी जान बचाने की भीख मांगते दुधवा नेशनल पार्क के असंखों जीव जन्तु एवं पशु पक्षी।
उत्तरप्रदेश का गौरव-दुधवा नेशनल पार्क।
दुधवा नेशनल पार्क के कारण ही लखीमपुर खीरी जनपद की एक अलग पहचान बन जाती है।दुधवा के इन जंगलों के रख रखाव के लिए प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया जाता है।इन दुधवा के जंगलों की देख रेख के लिए भारी भरकम वन विभाग का सरकारी महकमा रहता है।
लेकिन एक कहावत है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जायें-?आज कल सप्ताह भर से दुधवा का यह जंगल भीषण आग से तड़ तड़ करते हुए जल रहा है।लेकिन इस जंगल की खबर लेने वाला कोई नहीं, बल्कि रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं जबकि जंगल की आग बुझाने के लिए वन विभाग का भारी महकमा रहता है।और अग्निशमन यंत्रों की खरीद के लिए हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का बजट दिया जाता है।
वहीँ दूसरी ओर जंगलों में बने जलाशयों में एक बूंद भी पानी नहीं है,दुधवा जंगल के जानवर पशु पक्षी जहां बिना पानी के तड़प तड़प कर मर रहे हैं तो वहीं असंख्यों जीव आग की चपेटों में जलकर भस्म हो रहे हैं।
जबकि जगंल के जलाशयों में गर्मी के दिनों में पानी भरने के लिए भी करोड़ों रुपये का बजट इन वन कर्मियों को दिया जाता है।आज इस दुधवा नेशनल पार्क के असंख्यों बेजुवान जानवर पशु पक्षी एवं हरे भरे वृक्ष समस्त मानवजाति से अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे हैं, अपने लिये पानी मांग रहे हैं तो अपने को आग से बचाने की भीख मांग रहे हैं।
जितने भी पशु पक्षी एवं प्रकृति प्रेमी, जब भी आज इन दुधवा के जंगलों से गुजरते हैं तो तड़ तड़ करके जल रहे इस जंगल की दुर्दशा देखकर सबकी आत्मा विचलित हो जाती है।
आखिर इतनी बड़ी वन विभाग की फौज होते हुए भी जंगल रात दिन क्यों जल रहे हैं व जंगलों के जलाशयों में एक बूंद भी पानी क्यों नहीं है-?वही इस बाबत टी रंगाराजू ने दूरभाष पर यह गाइड लाइन के अनुरूप छोटे छोटे क्षेत्र को निर्धारित कर साफ सफाई करने के उद्देश्य से जलाया जाता है। इस दौरान लगभग सभी जानवर दूसरे तरफ भाग लेते है, कुछ बहुत छोटे कीड़े मकोड़े जल सकते है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ