अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में 19 अप्रैल को शहर के अग्रेंजी माध्यम विद्यालय पॉयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड कॉलेज में कक्षा-12 के जीव विज्ञान विषय की अध्यापिका शालिनी शुक्ला ने सभी छात्र-छात्राओं को ‘‘वनस्पति विज्ञान‘‘ विषय पर वनस्पतियो में परागण के प्रकार के विषय में विस्तृत जानकारी दी । जीव विज्ञान विषय की अध्यापिका शालिनी शुक्ला ने कक्षा-12 के छात्र-छात्राओं को पौधों में विभिन्न प्रकार के परागण जैसे वायु द्वारा परागण एवं कीटों द्वारा परागण के लिए आवृतबीजी पुष्पों में कुछ संरचनीय परिवर्तन पाये जाते है। उन्ही संरचनीय परिवर्तनों को जानने के लिए विद्यार्थियों को विद्यालय एवं विद्यालय के आस-पास के क्षेत्र में भ्रमण के लिए ले जाया गया । विषय अध्यापिका ने बताया कि परागण वनस्पतियों के वैज्ञानिक नामकरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें वनस्पतियों की पहचान में मदद करता है।
वनस्पतियों में परागण के कई प्रकार होते है जिनमें से कुछ मुख्य है-पवन द्वारा परागण (एनिमोफिली) ऐसे कुछ ही फूल है जो पवन परागण का उपयोग करते है इनके फूल रंगहीन, गंधहीन हरे रंग के छोटे पुष्प होते है। एनिमोफिलस फूलों में नर भाग बहुत बडी मात्रा मे पराग पैदा करते हैं। फूल का मादा प्रजनन भाग बहुत बड़ा चिपचिपा व पंखदार होता है, जो फूल के बाहर पूरी तरह फैला होता है और यह संरचना परागणों को मादा भाग में पहुँचने मे सहायता करती है। इनके कुछ उदाहरण है जैसे- मक्का, घास, गेहूँ, धान इत्यादि। साथ जानवरों द्वारा परागण के बारे में बताया कि जानवरो द्वारा परागण में मुख्यतयाः कीटों द्वारा परागण सामान्य है जिसे एनटेमोफिली कहा जाता है। एनटेमोफिलस फूलों में चमकदार रंग, गंध और आकार में बडे होते है। जिससे कीट इन्हें आसानी से पहचान सकते है और इन पर जाकर बैठते है एवं परागण सभंव हो पाता है। इनके परागण चिपचिपे होते है जिससे यह कीट के शरीर से आसानी से चिपक जाते है। विद्यालय के छात्र-छात्राओं को निकट कालीथान ग्राम के कृर्षि क्षेत्र तथा सटे हुए तालाब के किनारे ले जाया गया जहाँ पर उन्हें गेहूँ के खेत में परागण तथा अन्य पौधों में परागण के लिए पाये जाने वाले संरचनीय परिवर्तनों के विषय में बताया गया। छात्र-छात्राओं में असरफ, प्रियश प्रसून, जगन्नाथ, शान्तनु, आराध्या, अरबिया, अंशिका, श्रद्धा, पल्लवी आदि छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया।इस अवसर पर विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक डा एमपी तिवारी ने कक्षा-12 के जीव विज्ञान विषय की अध्यापिका शालिनी शुक्ला की सराहना करते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं को इन प्रकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करके वनस्पतियों के विज्ञान में एक मजबूत आधार दिया जा सकता है।
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