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BALRAMPUR...विद्यालय कोऑर्डिनेटर को 51 हजार रुपए से किया गया सम्मानित



अखिलेश्वर तिवारी 
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय पर संचालित डिवाइन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अपने विद्यालय के कोऑर्डिनेटर को 51 हजार की राशि देकर सम्मानित किया है। प्रबंधक के इस निर्णय का प्राइवेट सेक्टर विशेष कर विद्यालयों में प्रशंसा किया जा रहा है।


जानकारी के अनुसार बलरामपुर जिले में साल 2017 में डिवाइन पब्लिक स्कूल की स्थापना आशीष उपाध्याय ने की थी। उनका कहना है कि बहुत ही छोटे पैमाने पर शिक्षा के इस मंदिर की नीव रखी गई थी, लेकिन शिक्षा के गुणवत्ता और विद्यालय के अनुशासन के चलते आज यह विद्यालय जिले में एक अपना अलग मुकाम हासिल कर चुका है। विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या भी संतोषजनक है। विद्यालय के प्रबंधक द्वारा 2 अप्रैल 2024 को विद्यालय का स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया इस कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधन द्वारा अपने शिक्षकों को भी विशेष सम्मान दिया गया। विद्यालय के प्ले ग्रुप में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली आफरीन खान, कक्षा 1 से 3 में बेस्ट टीचर के तौर पर सुनीता मिश्रा, कक्षा 4 से 8 में बेस्ट टीचर के तौर पर पल्लवी शुक्ला और सभी कक्षाओं में बेस्ट टीचर के तौर पर सुमन मिश्रा को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र सहित पुरस्कार देते हुए सम्मानित किया गया, साथ ही विद्यालय का वित्तीय लेखा जोखा रखने वाली कोऑर्डिनेटर जूली पाण्डेय को विद्यालय के प्रबंधक आशीष उपाध्याय द्वारा 51 हजार का चेक और स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। स्कूल की कोऑर्डिनेटर जूली पाण्डेय ने विद्यालय द्वारा मिले सम्मान के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह मेरे लिए एक सपने जैसा है । यह उस दौर में संभव नहीं है जिस दौर में शिक्षकों का तमाम विद्यालय या प्रबंधक उत्पीड़न करने में जुटे रहते हैं । विद्यालय के प्रबंधक आशीष उपाध्याय की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी ही काम है । उन्होंने मेरे काम को जांचा परखा और उसे सराहा जिसके चलते मुझे इतनी बड़ी धनराशि से सम्मानित किया गया है मैं उनकी हमेशा आभारी रहूंगी। स्कूल के प्रबंधक आशीष उपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हमारे विद्यालय में वित्तीय लेखा-जोखा रखने वाली जूली पाण्डेय को विद्यालय की तरफ से 51 हजार रुपए का चेक देकर सम्मानित किया गया है। साल 2017 में विद्यालय की स्थापना के बाद से ही वह अनवरत रूप से विद्यालय में पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कार्य कर रही थी, जिसका परिणाम सम्मान के रूप में विद्यालय द्वारा उनको दिया गया है।

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