पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा) क्षेत्र में महंगुपुर गाँव में चल रही भागवत कथा में मंगलवार को व्यास द्वारा कंस वध व कृष्ण रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया।
रामनगरी से पधारे कथा व्यास पं रामकुमार शास्त्री ने बताया कि कृष्ण को मारने के लिए कंस ने सभी प्रकार के प्रयास किये किन्तु सफलता नहीं मिली। अंत में बड़े भाई बलराम के साथ मथुरा पहुंच कृष्ण ने कंस को मुष्टिका मार पापाचार का अंत किया। तथा माता पिता को कारागार से मुक्त कराया। रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने कहा कि रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीषम की पुत्री थी। कृष्ण से शत्रुता रखने के कारण रुक्मिणी का भाई रुक्मि बहन का विवाह शिशुपाल से कराने के लिए तयारी करने लगा। इसकी जानकारी होने पर रुक्मिणी ने कृष्ण से विवाह के लिए परिणय संदेश भिजवाया। तब कृष्ण ने युद्ध करते हुए रुक्मिणी की इक्छा से उनका हरण कर लिया। और द्वारिका पुरी में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मिणी विवाह से विवाह किया। कथा व्यास वर्तमान समय में हो रहे विवाह संस्कार की कुरीतियों से बचने की बात कही। उन्होंने कहा कि विवाह में दहेज की चाह से कितने घर बर्बाद हो रहे हैं। दहेज के कारण दों परिवार विखर जाते हैं।दहेज रूपी लोभ से सभी को बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि विवाह एक संस्कार है और यहां विधि पूर्वक सम्पन्न होता है तो जीवन में सदैव मंगल होता है। आज के समय पाश्चात्य प्रथा के अनुसार गले में माला डालकर ही विवाह पूर्ण मान लेते हैं। यह सही नहीं है अपितु वेद मंत्रो के साथ सम्पन्न विवाह ही धर्म सम्मत हैं। कथा व्यास ने रासलीला प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा विश्राम कराया। कथा में योगेंद्र पांडेय, विनोद पांडेय, सतीश चंद्र पांडेय, अवधेश मिश्रा, आनंद स्वरुप, हेमंत पांडेय, सोनू, अनुराग पांडेय, शौनक आदि लोग उपस्थित रहे।
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