अर्पित सिंह
गोण्डा। प्रदेश में निजी विद्यालयों की प्रारंभिक कक्षाओं में एक समान पाठ्यक्रम तथा एनसीईआरटी की पुस्तकों के संचालन के लिए इंकलाब फाउंडेशन के अध्यक्ष अविनाश सिंह ने मुख्यमंत्री संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा मुख्यमंत्री संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश भर में एनसीईआरटी पैटर्न अथवा सम्बद्ध स्कूलों ने शिक्षा का व्यवसायीकरण कर डाला है कक्षा एक से लेकर पांच तक ढेर सारा होमवर्क और किताबों के बोझ तले बच्चों की मासूमियत खत्म हो गयी है देश में स्कूली शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाने वाली एकमात्र संस्था नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार कक्षा एक से कक्षा दो तक के बच्चों को कोई होमवर्क नहीं दिया जाना चाहिए तथा इन्हें एनसीईआरटी की किताबें पढ़ानी चाहिए कक्षा तीन में सप्ताह में केवल दो घंटे का होमवर्क मिलना चाहिए अभिभावक की अति महत्वाकांक्षा भांपकर निजी स्कूल छोटे-छोटे बच्चों पर किताबों और होमवर्क का इतना बोझ लाद देते हैं, जिससे कि बच्चों का नैसर्गिक विकास बुरी तरह प्रभावित होता है इस संबंध में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका के निस्तारण में आदेश दिया है कि बच्चे देश का भविष्य हैं और इन्हें स्वाभाविक रूप से अपना बचपना जीने का हक है अभिभावक की महत्वाकांक्षा और अध्यापकों की मास्टरगीरी में बच्चों का बचपन बर्बाद नहीं होना चहिये अदालत ने इसके लिए भारत सरकार को आदेश दिया था कि शैक्षिक वर्ष 2018 से देश के सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम और किताबें पढ़ाई जाएं जो स्कूल एनसीईआरटी के अलावा किसी अन्य प्रकाशन की किताबें चलाते हैं, उनकी सम्बद्धता रद्द की जाए अदालत का कहना था कि बच्चों का बौद्धिक विकास तभी सम्भव है, जब वे किताबों के बोझ तले न दबकर अन्य सोशल करीकुलम एक्टिविटी, स्पोर्ट्स एक्टिविटी, एंटरटेनमेंट के जरिये अपना विकास करें
ज्ञापन में कहा गया है कि विश्व के विकसित देशों में प्रारंभिक शिक्षा में कक्षा दो तक कोई होमवर्क नहीं दिया जाता है मुश्किल से दो किताबों से काम चलता है यह एक रिसर्च किया हुआ फैक्ट है कि बच्चों का स्वाभाविक विकास तभी संभव है, जब उन पर किताबों का बोझ बहुत अधिक न हो आज के व्यवसायिक स्कूलों ने अपना धंधा चमकाने के लिए बच्चों के ऊपर अनावश्यक किताबों का बोझ डाला हुआ है इससे बच्चों का बौद्धिक विकास रूक गया है परिणामतः भारत के बच्चे विश्व के सबसे पिछड़े विकसित बच्चों में आते हैं अभिभावक की महत्वाकांक्षा बच्चों का भविष्य खराब करती है।
इंकलाब फाउंडेशन के अध्यक्ष अविनाश सिंह ने कहा कि सबसे कम उम्र में फिनलैंड की प्रधानमंत्री बनने के लिए सना मरीन की चर्चा आज पूरे विश्व में हो रही है आज फिनलैंड के युवा सबसे अधिक विकसित हैं और 2019 का सबसे खुशहाल देश घोषित हुआ है, जबकि फिनलैंड में कक्षा दो तक बच्चों को स्कूल बैग तक लेकर नहीं जाना होता है उन्हें कोई होमवर्क नहीं दिया जाता है इस वजह से वहां के बच्चे सबसे अधिक विकसित हैं डॉ अरुण सिंह व विकास वाल्मीकि ने कहा कि हम जानते हैं कि हर बच्चों में प्रतिभा होती है अगर इस प्रतिभा को 14 वर्ष की उम्र तक प्राकृतिक रूप से विकसित होने दिया जाता तो आज देश का युवा भी विकसित होता केबी सिंह व आयुष मिश्रा ने कहा कि अब देश में एक समान शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है अगले शैक्षिक वर्ष से जिन निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी के अलावा अन्य प्रकाशनों की किताब चलाई जाय, उसकी मान्यता हर हाल में खत्म कराया जाएगा।
मोहित सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में सीबीएसई द्वारा संबद्ध स्कूल तथा अन्य स्कूल व्यवसायिक दृष्टि से काम कर रहे हैं सरकार बोर्ड तथा न्यायालय द्वारा अनुमोदित एनसीआरटी अथवा राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम तथा किताबे ना चलाकर प्रारंभिक कक्षाओं में निजी प्रकाशन की भारी भरकम किताबे चलाते हैं जिससे बच्चों का बौद्धिक शारीरिक तथा सामाजिक विकास बुरी तरह बाधिक होता है जिस उम्र में बच्चों को पेंसिल का मतलब भी नही पता होता है उस उम्र में पेन - पेंसिल तथा स्कूल के कठिन सिलेबस, होमवर्क की वजह से तनाव में होते हैं बच्चों की मासूमियत मां बाप की महत्वाकांक्षा और अध्यापकों के टास्क की वजह से खत्म हो जाती है नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 देश में सभी स्कूली शिक्षा के लिए गाइडलाइन तैयार करता है शिक्षा का अधिकार अधिनियम तथा कम्पलसरी एजुकेशन एक्ट 2009 भी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 की गाइडलाइन का पालन करता है नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार कक्षा 2 तक के बच्चो को होमवर्क नही दिया जाना चाहिए तथा कक्षा 3 के बच्चों को सप्ताह में दो घंटे का होमवर्क मिलना चाहिए ज्ञापन देने वालों में अविनाश सिंह, विकास वाल्मीकि, आयुष मिश्रा, मोहित सिन्हा, भानु कोहली, प्रमोद, चंद्र प्रकाश, राम कुमार व अन्य लोग मौजूद रहे ।
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