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लाखों खर्च के बाद भी हैंड पम्पों की नहीं सुधरी दशा,रिबोर के नाम पर खेला जा रहा बड़ा खेल



सरकारी स्कूल में लगे हैंडपम्प में निकली दो ही पाइप,शिक्षक समेत छात्र दंग

शासन की शुद्ध पानी देने की योजना के नाम पर लोगों को आर्सेनिक युक्त पानी पीने के लिए किया जा रहा मजबूर

कमलेश

खमरिया खीरी:ईसानगर क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों में शुद्ध पानी के लिए लगवाए गए हैंड पम्पों के रिबोर के नाम पर भले ही लाखों रुपये निकालकर खर्च दिखाया जा रहा हो पर क्षेत्र में आज भी लोग शुद्ध पानी के लिए तरस रहे है। इसके पीछे रिबोर के नाम पर जमकर की गई धांधली सबसे बड़ा कारण बन गई है। जिसके चलते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को मजबूरन आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ रहा है,बावजूद ज़िम्मेदार चुप्पी साधे हुए है।

ईसानगर क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में लगे हैंडपम्पो के रिबोर के नाम पर किस तरह भ्रस्टाचार की वैतरणी में गोता लगाया जा रहा है यह किसी से छुपा नहीं है जिम्मेदार सबकुछ जानकर भी चुप्पी साधे हुए है। जिसकी वजह से लोगो ने खुलेआम हो रहे भ्रस्टाचार को देखने के बावजूद भी शिकायत करना ही बंद कर दिया है। हालात यह है कि शासन की महत्वाकांक्षी योजना के तहत गावों व स्कूलों में ग्रामीणों व छात्र छात्राओं को शुद्ध पानी देकर उन्हें बीमारियों से बचाने के नाम पर लगाए गए हैंडपम्पो के रिबोर करने के नाम पर जहां मोटी रकम का खर्च दिखाया जा रहा है वही हैंडपम्प की करीब 120 फिट गहरी बोरिंग में नियमों को ताक पट रखकर नई पाइप डालने की जगह पहले से लगी पाइपों को भी निकाल कर बेच दिया गया या निजी कार्य मे स्तेमाल कर लिया गया। अचरज तो तब हुआ जब कम्पोजिट स्कूल मटरिया में लगे हैंडपम्प में गंदा पानी निकलने पर शिक्षकों द्वारा ग्राम प्रधान से की गई शिकायत के बाद मंगलवार को रिबोर करने पहुचे मिस्त्री व ठेकेदार शरीफ़ ने जैसे ही नल को उखाड़ा तो शिक्षकों के साथ बच्चे भी अचरज में पड़ गए, क्योंकि 120 फिट गहरी बोरिंग में केवल 20 फिट की दो पाइप ही निकली उन्ही दो पाइप के जरिये बच्चों व शिक्षकों को  मजबूरन आर्सेनिक युक्त पीला पानी पड़ रहा था व उसी से भोजन भी बनता है। इस बाबत जब शिक्षको ने ठेकेदार से बात की तो उसने बताया कि वह पहली बार रिबोर करने आया है,नल में कम से कम पांच पाइप 50 फिट की तो जरूर लगी होनी चाहिए थी पर इसमें तो केवल दो ही पाइप 20 फिट ही लगी है। इससे यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि रीबोर के नाम पर किस तरह से खेल खेला जा रहा है। यही नहीं इस बाबत जब ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि केवल यह स्कूल ही नहीं क्षेत्र के सभी स्कूलों के साथ साथ गावों में भी लगे हैंडपम्पों का यही हाल है। जहां ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारी वर्षों से रिबोर के नाम पर खानापूर्ति कर शासन द्वारा भेजी जा रही बड़ी रकम का वारा न्यारा कर क्षेत्रवासियों को शुद्ध पानी पिलाने का केवल सपना दिखा रहे है। इस बाबत ग्रामीण मनीष कुमार ने बताया कि शासन की अनदेखी का फायदा उठाकर ज़िम्मेदार नलों के रिबोर के नाम पर बड़ा खेल खेलते हुए शासन द्वारा भेजी जा रही बड़ी रकम का सफाया कर रहे है। अब तो हालात यह हो गए है कि नलो का रिबोर ब्लॉक में मौजूद रहने वाले चर्चित ठेकेदार व ग्राम पंचायत अधिकारियों व जेई की सांठ गांठ से होता है। जिसके मिस्त्री नलो में पर्याप्त नई पाइपें डालने की जगह उल्टे पहले से नल में लगी पाइपें तक को निकालकर गायब कर दे रहे है। साथ ही मानक के अनुसार नई पाइपों को नलों में लगाने के स्थान पर केवल कागजों पर खानापूर्ति की जा रही है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार एडीओ पंचायत समेत अन्य अधिकारियों से भी शिकायतें की,पर जब कोई सुधार नहीं हो सका तो लोगों ने शिकायतें करना ही बन्द कर दिया है। वही जब इस बाबत एक ठेकेदार से बात की गई तो उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि  हमें केवल बोरिंग लगवाने व मिस्त्री की मजदूरी ही दी जाती है,नलों में जितनी पाइप हमें लगाने का फरमान जारी होता है, हम उतनी ही लगाते है। इसके अलावा ब्लॉक में आने जाने वाले एक प्राइवेट कर्मचारी से बात की गई तो उसने कहाँ की हैंडपम्पो में किस तरह का भ्रष्टाचार हुआ है या हो रहा है उसको जानने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में लगे हजारों नलों को बाहरी मिस्त्री लाकर केवल खुलवाकर देख लो,सच्चाई सामने आ जायेगी। अब अगर इन सब की बातों को अगर सही माने तो शासन की महत्वाकांक्षी योजना हर व्यक्ति को शुद्ध पानी देने के दावों की ब्लॉक में किस तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही है यह उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच से ही सामने आएगा। फिलहाल ग्राम पंचायतों में लाखों खर्च होने के बाद भी आमजन को आर्सेनिक युक्त व गंदा पानी ही नसीब हो रहा है,जिसमें सबसे अधिक खामियाजा मासूम बच्चों को ही भुगतना पड़ रहा है।

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