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हर गॉव तक जाएगी बाल विवाह के विरुद्ध आवाज: सीएमओ



फराज अंसारी 

बहराइच । स्वास्थ्य विभाग और पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया के संयुक्त प्रयास से बाल विवाह के विरुद्ध अभियान में तेजी लाने के लिए सीएमओ सभागार में मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएमओ डॉ सतीश कुमार सिंह ने कहा कि बाल विवाह एक कलंक है इसे हर हाल में मिटाना होगा। इसकी वजह से न सिर्फ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि इससे अच्छे स्वास्थ्य का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, हिंसा एवं शोषण मुक्त जीवन का अधिकार, विकास का अधिकार, समानता का अधिकार और सहमति से विवाह केअधिकारों का भी हनन होता है। 

उन्होंने कहा कि बाल विवाह के विरुद्ध अभियान की शुरुआत जिलाधिकारी मोनिका रानी की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में हो चुकी है। जिसके तहत सभी विभागों में शपथ कार्यक्रम, पोस्टर, सेल्फी, वीडियों संदेश आदि के माध्यम से जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने सभी मीडिया कर्मियों के साथ बाल विवाह के विरुद्ध शपथ भी दिलाई और कहा कि बाल विवाह कानूनी अपराध है। हम सब मिलकर इसे रोकने का प्रयास करेंगे ताकि आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ और समृद्धिवान बन सकें। 

जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने कहा कि बाल विवाह का कुप्रभाव न सिर्फ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर पड़ता है बल्कि कम उम्र में शादी होने से आवश्यकता से अधिक बच्चों का बोझ भी परिवार में बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि सेन्सस 2011 के अनुसार भारत की कुल आबादी का 16 प्रतिशत आबादी उत्तर प्रदेश में रहता है और यह 2030 तक बढकर 19 प्रतिशत तक हो जाएगा। यानि भारत में रहने वाला हर पांचवा व्यक्ति उत्तर प्रदेश का होगा। इसके लिए 11 जुलाई 2021 में देश के मा. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में नई जनसंख्या नीति (2021-30) जारी की गयी थी, जो बच्चों, योग्य दंपति, गर्भवती, युवा एवं बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए प्रदेश सरकार की नवाचार के तहत दूरगामी पहल है। इस जनसंख्या नीति में  किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य लिए विशेष प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार विवाह की उम्र को बढ़ाया जाना है, जिससे उनकी शिक्षा पूरी हो सके और वह आत्मनिर्भर हो सकें।

एसीएमओ डॉ पीके बंदिल ने कहा कि बाल विवाह के कई नुकसान हैं विशेषकर इससे समाज की आधी आबादी प्रभावित होती है। दम्पत्ति अनपढ़ एवं अकुशल रह जाते हैं जिससे रोज़गार तथा विकास के सीमित अवसर मिलते हैं, आत्मविश्वास और बौद्धिक क्षमतायें पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती। आवश्यकता से अधिक बच्चों के दबाव से पोषण और शिक्षा की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। इसके प्रभाव से स्वास्थ्य के अन्य मानक पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए आवश्यक है कि विभाग एवं समुदाय मिलकर इस विषय पर काम करें। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि 01 फरवरी को सभी विद्यालय, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों को अल्बेण्डाजॉल की खुराक दी जाएगी। छूटे हुए बच्चों को पुनः 05 फरवरी को बच्चों का क्रीमिनाशक दवा दी जाएगी। 

बाल विवाह के लिए भारत में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान भी है, इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु का लड़का और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है। जिसमें 2 वर्ष के लिए कठोर कारावास की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उद्देश्य बाल विवाह की रोकथाम, बाल विवाह में शामिल बच्चों की सुरक्षा और अपराधियों पर मुकदमा चलाना है।

इस अवसर पर एसीएमओ डॉ संतोष राना, आरकेएसके जिला सलहकार राकेश गुप्ता, डिप्टी सीएमओ डॉ सोलंकी, डिप्टी डीटीओ डॉ संदीप मिश्रा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक एन.एच.एम. सरजू खान, जिला कम्युनिटी प्रोसेस प्रबन्धक मो. राशिद, मोबिअस फाउंडेशन के प्रतिनिधि प्रभात कुमार, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया से अभिषेक पाठक व बलबीर सिंह सहित जनपद के मीडिया साथी उपस्थित रहे।

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