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बाबूजी कल्याण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का हुआ आयोजन



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़: भाजपा कार्यालय पर पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल,कल्याण सिंह बाबू जी की जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य अतिथि जिला प्रभारी कौशलेंद्र पटेल, जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव, निवर्तमान अध्यक्ष हरिओम मिश्र, पूर्व जिला अध्यक्ष के के सिंह एवं पूर्व जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कल्याण सिंह के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलित करके संगोष्ठी की शुरुआत की गई।जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव ने संगोष्ठी की शुरुआत करते हुए बताया कि राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे और दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे रामभक्त स्व. कल्याण सिंह का सारा जीवन संघर्षों भरा रहा है। उनकी 92वीं जयंती आज 5 जनवरी को है। देश की राजनीति में हिंदुत्व के नायक का खिताब उन्होंने यूं ही नहीं पाया। न कभी पद पर बने रहने के लिए उसूलों से समझौता किया और न राजनीति में सौदा किया। एक इंटर कॉलेज के शिक्षक से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री व राज्यपाल तक के संघर्षों भरे सफर की डगर बेहद कांटों भरी रही। जिसके दम पर वे हिंदू हृदय सम्राट तक कहलाए गए।मुख्य अतिथि जिला प्रभारी कौशलेंद्र पटेल ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मूल रूप से जिले की अतरौली तहसील के गांव मढ़ौली गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह प्रदेश की राजनीति के शिखर पर पहुंचे। बचपन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाते थे। उच्च शिक्षा हासिल कर अतरौली के एक इंटर कॉलेज में अध्यापक बने। 1967 में पहली बार अतरौली से विधायक बने और 1980 तक लगातार जीते।आपातकाल में 21 महीने तक अलीगढ़ व बनारस की जेल में रहे। जनसंघ से भाजपा के गठन के बाद प्रदेश संगठन महामंत्री व प्रदेशाध्यक्ष तक बनाए गए। जब देश में भाजपा का उभार हुआ तो 1991 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो वे मुख्यमंत्री बने।निवर्तमान जिला अध्यक्ष हरिओम मिश्र ने बताया कि ये सभी जानते और कहते हैं कि उन्होंने पद पर बने रहने के लिए कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। इसी का परिणाम रहा कि अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने से इंकार कर दिया। विवादित ढांचे के विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद को ठोकर मार दी और कहा कि राम मंदिर के लिए एक नहीं सैकड़ों सत्ता कुर्बान हैं।हालांकि, अयोध्या के निर्माणाधीन मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन करने की उनकी इच्छा अधूरी रह गई। 89 वर्ष की उम्र में 21 अगस्त 2021 की देर शाम बीमारी के चलते उनका लखनऊ में देहांत हो गया।पूर्व जिला अध्यक्ष के के सिंह ने बताया कि कल्याण सिंह  अपनों की पहचान, दोस्ती निभाने के लिए भी जाने जाते थे। बहन बेटियों की शादियों में जाना, मुलाकात होने पर विदाई देना उनकी खासी पहचान थी। इसके अलावा सभाओं में लोगों से जोड़ने के लिए वे यहां तक कह देते थे कि राम लला से बात हो गई है, बारिश की एक बूंद नहीं गिरेगी। जब अयोध्या में घटनाक्रम हुआ तो लोग उनके गांव के बाग से मिट्टी तक ले गए। देश में उनके पोस्टर खूब बिके और जब वे मुख्यमंत्री बने और लोग उनसे जिले में किसी काम के लिए कहते तो वे जवाब देते थे कि उनके लिए पूरा यूपी उनका अलीगढ़ है। इस दौरान उन्होंने अपने जिले में तहसील कोल का नया भवन, ताला नगरी औद्योगिक क्षेत्र, दीनदयाल अस्पताल, स्टेडियम, आईटीआई आदि का निर्माण कराया। इसके अलावा वे अपने गांव परिवार व क्षेत्र के लोगों का विशेष ध्यान जरूर रखते थे।पूर्व जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि उनके करीबियों में शामिल लोग बताते हैं कि 1980 में जब पार्टी यूपी में हारी और पार्टी की हालत बेहद कमजोर थी। कल्याण सिंह ने गांव-गांव जाकर पार्टी को खड़ा करने का काम किया। उन्होंने गांव खुशहाल तो देश खुशहाल और एक बूथ, दस यूथ का नारा देकर पार्टी को खड़ा करना शुरू किया। इस दौरान हाथरस के गांव महौ में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में जाते समय ट्रेन छूट गई। किसी तरह बस से हाथरस पहुंचे। वहां से एक रुपये में पूरे दिन के लिए साइकिल किराये पर ली और उसपर महौ के लिए चल पड़े।संगोष्ठी का संचालन जिला महामंत्री पवन गौतम ने किया।इस अवसर पर प्रमुख रूप से राम आसरे पाल प्रतिभा सिंह क्षेत्रीय कोषाध्यक्ष महिला मोर्चा, अनुराग मिश्र रामजी मिश्र, पंकज सिंह, देवराज ओझा राघवेंद्र शुक्ल, सुनील दुबे, तुषार दत्त सभासद,  सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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