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संतान के उन्नति के लिए संकटा चतुर्थी व्रत कल, भगवान श्री गणेश का होगा पूजन



संकष्टी चतुर्थी Sankashti chaturthi : पुत्रों के दीर्घायु एवं उनके उन्नति के माताओं द्वारा पूजा किए जाने वाले व्रत में भगवान श्री गणेश के पूजा करने का विधान है। इस व्रत में महिलाएं दिन भी निर्जला व्रत करके रात में चंद्रोदय के उपरांत चंद्रमा का दर्शन कर श्री गणेश का पूजन अर्चन करती है।ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य पवन तिवारी के अनुसार 29 जनवरी दिन सोमवार को सकट चौथ का व्रत किया जाएगा। इस दिन गणेश भगवान की पूजा होती है, पूरा दिन व्रत रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ये व्रत खोला जाता है। पुत्र की लंबी आयु, सौभाग्य में बढ़ोत्तरी के लिए के लिए इस व्रत को किया जाता है।

चंद्रमा अर्घ्य मंत्र:

गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। 

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

 सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी दिन सोमवार को है इस दिन माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करता है, उसके संकट दूर हो जाते हैं। सकट चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा करना अनिवार्य है।

चंद्रमा का दर्शन वर्जित 

संकष्टी चतुर्थी को चंद्रमा की पूजा होती है और विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा का दर्शन वर्जित है। कथाओं के अनुसार इसके पीछे का कारण गणेश जी की चंद्र देव को दिया गया श्राप है। गणेश जी को जब हाथी का मुख लगाया गया था, तो चंद्र देव हंस रहे थे उनको अपनी सुंदरता पर घमंड था। तब गणेश जी ने उनको श्राप दे दिया कि वे अपनी चमक खो देंगे और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को जो चांद देखेगा, उस पर कलंक लग जाएगा। इस श्राप के कारण चंद्र द्रेव कांतिहीन हो गए फिर उनको अपनी गलती का एहसास हुआ तो, उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी और श्राप से मुक्ति का मार्ग पूछा।

इस लिए चंद्र में होता है बदलाव

कथाओं के अनुसार गणेश जी ने कहा कि श्राप तो खत्म नहीं होगा, लेकिन चंद्र देव आपकी कांति शुक्ल पक्ष में 15 दिन बढ़ेगी, और फिर कृष्ण पक्ष में 15 दिन घटेगी। पूर्णिमा के दिन आप 16 कलाओं से पूर्ण होकर आसमान में आलोकित होंगे। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर जो भी व्रत रखकर उनकी पूजा करेगा, उसे रात में चंद्रमा की भी पूजा करनी होगी। इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं होगा।

एक और कथा है उसमें भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं को संकट दूर करने का आदेश दिया था। उसके साथ यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके संकट दूर हो जाएंगे।


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