कमलेश
खमरिया-खीरी:जवाहर नवोदय विद्यालय के कक्षा छह में प्रवेश के लिए आज खमरिया के बीबीएलसी इण्टर कालेज में आयोजित हुई परीक्षा शांतिपूर्वक तरीके से सम्पन्न हो गई। इस बार ब्लॉक में एक ही परीक्षा केंद्र बनाया गया था जिस परीक्षा केंद्र पर 493 बच्चे नामांकित थे। परीक्षा के दौरान बड़ी संख्या में बच्चे अनुपस्थित रहे जिसको लेकर शिक्षाविदों में तरह तरह की चर्चाएं भी होनी शुरू हो गई है। वही परीक्षा के दौरान केंद्र पर केंद्र व्यवस्थापक के साथ साथ केंद्र से आये आब्जर्वर भी मौजूद रहे।
ईसानगर क्षेत्र में शनिवार को जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश के लिए खमरिया के बीबीएलसी इण्टर कालेज में बने एक मात्र परीक्षा केंद्र पर आयोजित हुई परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गई। इस दौरान केंद्र पर आधे से अधिक बच्चे अनुपस्थित रहे जिसको लेकर शिक्षाविदों ने तरह तरह के प्रश्नचिन्ह भी लगाने शुरू कर दिए है। इस बार ईसानगर ब्लॉक में पूर्व वर्ष की तुलना सिर्फ एक ही परीक्षा केंद्र बीबीएलसी इण्टर कालेज खमरिया में बनाया गया था। जहाँ केंद्र व्यवस्थापक डॉ.संजीव कुमार मिश्रा व सीएलओ पंकज मिश्र की देखरेख में परीक्षा सम्पन्न करवाई गई,परीक्षा केंद्र पर 493 बच्चों का नामांकन था,जिसमें से केवल 171 बच्चे ही परीक्षा में शामिल हुए व 322 बच्चे परीक्षा केंद्र तक पहुचे ही नहीं। जिनके बारे में जानकारी मिलते ही पब्लिक इण्टर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य उमेश श्रीवास्तव ने चिंता व्यक्त की है। प्रदेश की इतनी बड़ी परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में बच्चों के शामिल न होने पर उन्होंने दुख प्रकट करते हुए बताया कि कारण कुछ भी हो इतनी महत्वपूर्ण परीक्षा में बच्चों के न शामिल होने से यह प्रतीत होता है कि लोग शिक्षा के प्रति कितना गंभीर है।
परीक्षा केंद्र की दूरी के साथ प्रवेश पत्र न डाउनलोड़ करना भी बनी वजह
इतनी बड़ी प्रवेश परीक्षा में इतने अधिक बच्चों के परीक्षा में न शामिल होने का एक कारण यह भी सामने आया है कि कुछ बच्चों का परीक्षा केंद्र उनके घर से 10 से 25 किलोमीटर की दूरी पर था जो इतनी भीषण सर्दी में अपने बच्चे को सर्दी से बचाने के चक्कर मे अभिभावक परीक्षा केंद्र तक नहीं ले गए। वहीं एक अहम बात यह भी सामने आई जिसमें इससे पूर्व वर्षों में परीक्षा होने के कुछ दिन पहले ही नामांकित बच्चे का प्रवेश पत्र बच्चों के स्कूल में तैनात हेड अध्यापक के माध्यम से उन तक पहुचा दिया जाता था, जो अब नहीं पहुचाया जाता है। पिछले वर्ष की भांति इस बार भी प्रवेश पत्र अभिभावकों को स्वयं डाउनलोड करवाने के लिए कहा गया था गावों में इसकी जानकारी न होने के अभाव में बच्चे व उनके अभिभावक कंप्यूटर सेंटरों तक जाकर प्रवेश पत्र डाउनलोड़ करवाने ही नहीं पहुचें जिसकी वजह उनके बच्चे परीक्षा मे शामिल नहीं हो सके।
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