सैकड़ों वर्ष पहले दी जाती थी नर बलि,अब बकरे की दी जाती है बलि
कमलेश
खमरिया खीरी:ईसानगर ब्लॉक के लखपेड़ा गांव में प्राचीन काल से पाकड़ के पेड़ में निवास कर रही माता भुइयां का पेड़ अचानक गिर गया। जिसको देख गांव के लोगों में तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त है। फिलहाल ग्राम प्रधान समेत ग्रामवासियों ने स्थान का जीर्णोद्धार करवाने की बात कही है। बताया जाता है कि यहाँ माता के दर्शन कर सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है। जिसके चलते यहां खीरी के विभिन्न तहसीलों व गांवों के साथ साथ बहराइच, गोण्डा, लखनऊ, बाराबंकी समेत अन्य जनपदों के लोग नवरात्रि में अष्टमी व नवमी के दिन लगने वाले मेले में मन्नत मांगने आते है।
ईसानगर ब्लॉक के लखपेड़ा गांव में स्थित माता भुइयां एक पाकड़ के पेंड पर करीब 400 वर्षों से निवास कर रही थी। जो पाकड़ का पेड़ शनिवार को अचानक भरभरा कर गिर गया। जिसको गांव के साथ साथ आस पड़ोस के गांवों से लोग बड़ी संख्या में देखने के लिए पहुच रहे है।
एक लाख पेंड लगे होने से गांव का नाम पड़ा था लखपेड़ा
माता भुइयां के दर्शन करने पड़ोसी गांव फत्तेपुर से आये अरविंद व शिवभगवान ने बताता की उनके दादा बाबा बताते थे कि सैकड़ों वर्ष पहले इस गांव में जंगल था। जिसमें एक लाख पेंड थे। सभी पेंड कटकर गांव बस गया केवल एक पाकड़ का पेड़ बचा उसी में माता भुइयां का निवास है। सबसे खास बात तो यह है कि उन्हीं एक लाख पेड़ों से गांव का नाम लखपेड़ा पड़ा था।
सैकड़ों वर्ष पहले चढ़ती थी नर बलि,अब बकरे की दी जाती है बलि
लगभग 100 वर्ष की रुक्मणी देवी बताती है कि माताजी का स्थान उनके गांव में आने से पहले से है उनके पुरखों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले माता जी के स्थान पर नर बलि दी जाती थी,पर मातारानी की कृपा व मार्गदर्शन से बकरे की बलि में बदल गया। अब बकरे की भी बलि का प्रचलन धीरे धीरे कम पड़ गया है। वह यह भी बताती है कि अब जो बकरे की बलि देता है वह माता के स्थान से थोड़ी दूर पर देता है वह भी रात में। इस दौरान नवरात्र के अष्टमी व नवमी के दिन लगने वाले मेले में लोग मुंडन,अन्न प्रासन,हवन व कथा सुनते है।
माता भुइयां की कृपा से गांव में किसी को नहीं हुआ था कोरोना
विगत तीन वर्ष पहले आया जानलेवा कोरोना से गांव में कोई भी व्यक्ति कोविड से संक्रमित नहीं हुआ था,इस बाबत गांव के विशम्भर निषाद,सालिक निषाद,शिवकुमारसिंह,श्रीपाल,नंदराम,अर्जुन निषाद, राजेश्वरी,विनोदनी,कमला देवी, रामलखन मिश्र, राकेश, रामपाल, अवधेश, भुरेसिंह,संतराम,राजाराम निषाद बताते है कि जब पूरी दुनिया मे लोगों पर कोरोना मौत का तांडव कर रहा था तब पूरे गांव ने मातारानी से सबकी रक्षा करने की वितनी की थी जिनकी कृपा से गांव में किसी को कोरोना नहीं हुआ था।
भक्त श्रीराम निषाद ने बनवाया मंदिर, दान की जमीन
गांव के ही भक्त श्रीराम निषाद चीनी मिलो में ठेकेदारी करते है माता से मन्नत मांगी तो उनका काम दिन दूने रात चौगुने बढ़ गया। जिसको लेकर उन्होंने माता भुइयां के पड़ोस में एक बड़ा दुर्गा माता जी का मंदिर निर्माण करवाकर एक पुरोहित रामकुमार मिश्र को माता रानी की पूजा अर्चना करने के लिए दे दिया। यही नहीं उन्होंने मेला लगने के लिए एक बीघा जमीन ख़रीददकर भी दान में दिया है।
चार वर्ष पहले पड़ोसी गांव की बुजुर्ग महिला ने चढ़ाई थी अपनी जुबां
गांव के भूरेसिंह समेत राजेश्वरी,विनोदनी,कमला देवी बताती है कि 5 साल पहले पड़ोस के गांव की एक बुजुर्ग महिला ने मन्नत पूरी होने पर माता भुइयां के दरबार मे आकर अपनी जुबां काटकर चढ़ा दी थी। जो करीब 24 घंटे तक माता के चरणों मे पड़ी रहकर ठीक होकर अपने घर चली गई थी। यही नहीं नवरात्र में अष्टमी व नवमी के दिन यहां श्रद्धालु त्रिशूल भी लेते है।
सांसद,विधायक,मंत्री भी माता के कर चुके है दर्शन
माता के दर से कोई खाली हाँथ वापस नहीं जाता जिसकी बढ़ी मान्यता देख यहाँ सांसद, विधायक व मंत्री भी दर्शन कर अपनी जीत की कामना कर चुके है। यही नहीं ग्रामीण यह भी बताते है कि माता की कृपा के चलते गांव के कुछ ही दूर पर स्थित शारदा नदी कटान करती रहती है पर माता की कृपा से आजतक गांव को नहीं काट पाई है।
ग्राम प्रधान समेत ग्रामवासी माता का बनवाएंगे मंदिर
पेंड गिरने के बाद से गांव में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। अब ग्राम प्रधान समेत ग्रामवासी पेंड को हटाकर माता भुइयां का जीर्णोद्धार करेंगे,इस बाबत ग्रामीणों की माने तो सभी लोग मिलकर माता रानी के स्थान पर भव्य तरीके से मंदिर का निर्माण करवा पूजा अर्चना की जाएगी।
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