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ईश्वर उपासना का मार्ग है सदकर्म : आचार्य अतुल महाराज

  


पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या 

नवाबगंज (गोंडा) क्षेत्र के महंगूपुर गांव स्थित कपिल आश्रम में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य अतुल द्विवेदी महाराज ने धुंधकारी की कथा का वर्णन किया।

कथा व्यास ने कहा कि प्रसव पीड़ा से बचने के लिए धुंधुली ने पति द्वारा संतान प्राप्ति के लिए लाये हुए फल का त्याग कर दिया। और चोरी से वह फल गाय को खिला दिया। तदोपरान्त फिर भी धुंधुली ने गर्भ धारण किया और अपने गलत आचरणों के चलते धुंधकारी जैसे पापी पुत्र को जन्म दिया। वही धुंधकारी अपने माता पिता की मृत्यु का कारण बना। आज प्रायः देखने को मिल रहा है कि माता पिता बच्चों को संस्कार,शुद्ध आचरण, धार्मिक शिक्षा नहीं दें रहे। जिनके कारण संतान कुमार्गी होती जा रही है। धुंधुली बन रही माताओ के यहां धुंधकारी जैसे पुत्र जन्म ले रहे हैं। वही अपने माता पिता को यातनाएं दें रहे हैं। गोकरण जैसे पुत्र के लिए बच्चों को सदकर्म सिखाये। ताकि पूरे कुल का उद्धार हो सके। उन्होंने कहा कि आज प्रायः ज्यादातर लोग परेशानियों में आने के बाद ईश्वर आराधना करते हैं। किन्तु अपने कर्मों की तरफ ध्यान नहीं देते। बुरे कर्मो का त्याग ही ईश्वर की सच्ची उपासना है। ऐसा करने से ईश्वर कृपा प्राप्त होने में कोई शंका नहीं। कथा में मुख्य यजमान आनंद तिवारी सर्वोदयकृष्ण पांडेय, ननके पांडेय, शौनक पांडेय, राजन, बृजेन्द्र मिश्र, लल्लू यादव, डिप्टी मिश्रा, कमलेश सिंह, प्रियांशु आदि लोग उपस्थित रहे।

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