अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर मे 30 जनवरी को सीरत ए मुस्तफा" और "कुरआन का संदेश" कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में बोलते हुए मौलाना नूरुल हसन खां अजहरी तथा मौलाना सय्यद अहमद रजा ने कहा कि इस्लाम ने हमेशा शांति का संदेश दिया है और इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरआन ने शांति व मानवता के मार्ग पर जीवन व्यतीत करने वाली शिक्षा दी है। इस्लाम के अंतिम पैगंबर मोहम्मद साहब मानवता के लिए आदर्श हैं, यही कारण हैं कि उन्हें मोहसिने इंसानियत के रूप में ख्याति प्राप्त है। मोहम्मद साहब ने अपने जीवन में सच्चाई, ईमानदारी, नैतिकता, शांति और मानवता के लिए एक उच्च मानक स्थापित किया जो सभी धर्मों के लोगों को प्रेरित करता है । उन्होंने पत्रकार मोहम्मद फैसल फरीदी के आवास पे आयोजित "सीरत ए मुस्तफा" और "कुरआन का संदेश" कार्यक्रम को संबोधित किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना सय्यद अहमद रज़ा ने की और कार्यक्रम का शुभारंभ कुरआन की तिलावत से क़ारी फ़रियाद हुसैन व क़ारी इक़ारार अहमद बरकाती ने किया। मुसव्वर अली के पांच वर्षीय पुत्र मोहम्मद अरहान ख़ान के द्वारा कुरआन के अलग अलग 10 पारों की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात क़ुरआन के शुभारंभ के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मदरसा फज़ले रहमानिया पचपेड़वा के प्रिंसिपल मौलाना नूरूल हसन खां अज़हरी ने अपने संबोधन में इस्लाम, कुरआन और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुरआन के अवतरण की शुरुआत ही पढ़ने के आह्वान के साथ हुई और अल्लाह के अंतिम पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी यही संदेश दिया कि इल्म हासिल करो चाहे इसके लिए चीन ही क्यों न जाना पड़े। नबी के संदेश से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सिर्फ़ इल्म ए दीन हासिल करने का हुक्म नहीं दिया गया बल्कि इल्म ए दीन के साथ हर तरह की शिक्षा को ग्रहण करने का संदेश दिया गया है। मौलाना नूरूल हसन खां अज़हरी ने यह भी कहा कि शिक्षा मानव समाज के विकास और प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा हमारे समाज में विवेक, ज्ञान, समझ, और समर्पण की भावना को विकसित करती है। शिक्षा मानवीय सम्पदा को वृद्धि देती है और सभी क्षेत्रों में समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। शिक्षा मानव विकास की मूलभूत आवश्यकता भी है इस लिए सभी माता पिता व अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए और दुनिया व आखिरत में कामियाबी के लिए कुरआन और इस्लामिक शिक्षा के साथ हर प्रकार की शिक्षा ज़रूर दिलाएं। कार्यक्रम के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अहमद रज़ा ने कहा कि काबिले तारीफ़ हैं वह माता पिता जो अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं और उन्हें दुनियावी शिक्षा के साथ ही कामियाबी की ओर ले जाने वाली कुरआन की शिक्षा भी दिलाने में अहम योगदान देते हैं। श्री रज़ा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लाम तलवार के बल पर नहीं बल्कि मानवता और अच्छे संस्कारों के बल पर फ़ैला है। इस्लाम ने हमेशा अमन और शांति का संदेश दिया है। अत्याचार, क्रूरता, उत्पात मचाने और अत्याचारी देशद्रोहियों के विरुद्ध जेहाद का हुक्म देता है। श्री रज़ा ने मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा कि अपनी जीवन शैली और कार्य व्यवहार को इस्लामिक शिक्षा के अनुसार व्यतीत करो, तुम्हारे किसी भी आचरण और संबोधन से किसी को भी ठेंस न पहुंचने पाए यही इस्लाम का संदेश और शिक्षा भी है। जामा मस्जिद के ईमाम हाफिज़ अब्दुल हमीद कुरआन के इक़रा शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा कि इसका सीधा संदेश पढ़ना है जो ज्ञान प्राप्ति के महत्व को बता है। कुरआन की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री हमीद ने कहा कि कुरआन हमें माता पिता की सेवा, ईमानदारी के साथ जीवन व्यतीत करने, एकता और भाई चारे तथा अहिंसा परमोधर्म की शिक्षा के साथ ही सदाचार, रहमदिली, अच्छे संस्कार, मानवसेव आदि की शिक्षा देता है। बेटियों की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हाफिज़ अब्दुल हमीद ने कहा कि मां की गोद ही बच्चे के लिए सबसे पहली कक्षा है इस लिए अपनी बच्चियों को शिक्षा ज़रूर दिलाएं क्योंकि एक शिक्षित बेटी ही समाज में शिक्षा का प्रकाश फैला सकती है। मुफ्ती मुज़म्मिल अख़्तर ने कहा कि हम इस्लाम धर्म के अनुयाई हैं हमारा जीवन भी इस्लामिक शिक्षा के अनुसार ही व्यतीत हो तभी हमसे अल्लाह राज़ी होगा। श्री अख़्तर ने कहा कि समाज में फैली हर तरह की बुराइयों दहेज़, जुआ, नशाखोरी, नाच गाना आदि के विरुद्ध एकजुट होकर इसे दूर करने का हर संभव प्रयास करें। मौलाना फैयाज अहमद मिस्बाही बरकाती ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम शांति और भाईचारे का संदेश देता है। इसलिए इस्लाम की शिक्षा पर अमल करना चाहिए। गरीबों व जरूरतमंदों की मदद करें एंव समाज को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर स्तर पर प्रयास करें। क़ारी फ़रियाद हुसैन ने कुरआन की शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुरआन की शिक्षा ही हमें और हमारे बच्चों तथा समाज के लिए सच्चाई का मार्ग प्रशस्त करेगी। कुरआन हमें बुराइयों से बचने तथा मानवसेवा के साथ जीवन व्यतीत करने का संदेश देता है इस लिए हमें हर ज़रूरत मंद की मदद करनी चाहिए। क़ारी इक़ारार अहमद बरकाती ने कहा कि शिक्षा के महत्व को समझना है तो कुरआन की शिक्षा ग्रहण करें और अगर दुनिया व अखिरत में कमियाबी हासिल करनी हो तो अल्लाह के नबी के बताए मार्ग पर जीवन व्यतीत करें। मौलाना ज़ैनुल आब्दीन अलीमी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से हमेशा शांति, सद्भाव, भाईचारा, एकता और समानता का संदेश दिया है. उनकी शिक्षाएं धर्म, समुदाय के आधार पर व्यक्तियों के बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकती हैं.’’। टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया उत्तर प्रदेश बलरामपुर के ज़िला महासचिव मोहम्मद हसन रज़ा ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। श्री हसन ने कहा कि शिक्षा हमें किसी भी चीज़ के बारे में ज्ञान प्रदान करती है और शारीरिक व्यक्तित्व और मानसिक शक्ति के साथ-साथ हमारी जीवन शैली को बेहतर बनाती है। शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत ही हमारा बौद्धिक विकास इस स्तर तक हो जाता है कि हमारे सोंचने की क्षमता बढ़ जाती है, सामाजिक व्यवहार की सीख मिलती है जिसका लाभ लेकर हम एक जागरूक और आदर्श नागरिक बनसकते हैं। इस अवसर पर मौलाना सय्यद अहमद रज़ा ने इस्लामिक तौर तरीके से 5 वर्षीय बालक अरहान ख़ान को कुरआन की शिक्षा प्राप्त करने हेतु शुभारंभ किया। अरहान के शिक्षक हाफिज़ अब्दुल हमीद का भव्य स्वागत और सम्मान किया गया तथा भेंट स्वरूप वस्त्र आदि भी दिए गए। फातेहा ख्वानी के बाद सलात व सलाम के पश्चात मौलाना सय्यद अहमद रज़ा की दुआ पर कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में शाबान अली, नवाज़िश अली फरीदी सुब्बू, मोहम्मद तौक़ीर फरीदी, मुसव्वर अली, साबिर अली, अज़ान ख़ान, मोहम्मद ज़की, मोहम्मद अनस, अबू जफर लालू, अन्नू ख़ान, मोहम्मद लइक बब्बू, पप्पू मास्टर, शब्बू, गजाली, शफीक अहमद आदि ने अरहान ख़ान को मुबारकबाद देते हुए अपना आशिर्वाद भी दिया। अंत में मोहम्मद फैसल फरीदी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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