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गोंडा:जच्चा बच्चा के मौत के बाद परिजनों ने काटा हंगामा, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप



महिला अस्पताल में प्रसूता को समय से खून न चढ़ाए जाने से जच्चा बच्चा की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा काटा। सूचना पर पहुंची नगर पुलिस के आश्वासन के बाद परिजन शांत हो गए। मामले में सीएमएस ने जांच का आदेश दिया है।

गोंडा जनपद के महिला अस्पताल में आए दिन चिकित्सकों के एक से बढ़कर एक कारनामे दिखाई पड़ते रहते हैं। इस बार तो चिकित्सकों के लापरवाही का खामियाजा जच्चा बच्चा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

गोंडा जनपद के मोकलपुर गांव के रहने वाले प्रवीण ने अपनी पत्नी मीरा को महिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था। वह सात माह के गर्भ से थी, जहां चिकित्सकों ने परिजनों से खून लाने की बात कही। शाम के साढ़े सात बजे परिजन चिकित्सक को खून उपलब्ध करवा दिए, लेकिन चिकित्साको ने देर रात तक महिला को खून नहीं चढ़ाया। महिला का पति डॉक्टर से खून चढ़ाने के लिए बार-बार मनुहार करता रहा, लेकिन डॉक्टर का दिल नहीं पसीना। इस टाइम खून नहीं चढ़ पाने का हवाला देकर डॉक्टर ने महिला को खून चढ़ाने से मना कर दिया। इसके बाद जच्चा बच्चा की मौत हो गई। जच्चा बच्चा की मौत से बौखलाए परिजनों ने अस्पताल में हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद पहुंची नगर पुलिस ने परिजनों को समझा बूझकर शांत कर दिया।

परिजनों का आरोप

मृतक के पति प्रवीण ने बताया कि उसने अपनी पत्नी को इमरजेंसी में महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां डॉक्टर ने खून लाने की डिमांड की। शाम 7:30 बजे खून उपलब्ध करवा दिया गया, उसके बावजूद भी डॉक्टर खून नहीं चढ़ाये, जिससे मरीज के पेट में बच्चा की मृत्यु हो गई, उसके बाद प्रसूता की भी असमय काल के गाल में समा गई। पीड़ित पति का आरोप है कि महिला अस्पताल में मरीजों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। डॉक्टर के लापरवाही से उसके पत्नी और बच्चे की मौत हुई है। 

मृतका के जेठ ने बताया कि आशा बहू के सहयोग से उसने प्रसूता को मंगलवार दोपहर पूर्व अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर ने तुरंत खून लाने की बात कही।

बोले सीएमएस 

वही इस बाबत सीएमएस डॉक्टर देवेंद्र सिंह ने दूरभाष पर बताया कि जब प्रसूता को अस्पताल में लाया गया था, उसका हीमोग्लोबिन बहुत कम था ऐसी स्थिति में चिकित्सकों ने उसे मेडिकल कॉलेज जाने के लिए कहा था, लेकिन परिजन नहीं माने, उन्होंने महिला अस्पताल में ही इलाज करने के लिए बाध्यता की। मरीज का सांस फूलने के कारण से उसे खून नहीं चढ़ाया जा सकता था। फिर भी मामले में जांच टीम गठित कर दी गई है, जांच रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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