गोंडा:आचार्य नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आज दिनांक 5 दिसंबर 2023 को विश्व मृदा दिवस धूमधाम से मनाया गया । मृदा दिवस पर आयोजित किसान गोष्ठी का शुभारंभ केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान डॉक्टर रामलखन सिंह ने किया । उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों एवं रासायनिक दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग से मृदा की उर्वरता कम होती जा रही है । इसको बचाए रखने की जरूरत है । मृदा की उर्वरता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक एवं जैविक खेती,हरी खाद की खेती,कार्बनिक खादों का प्रयोग, मोटे अनाजों की खेती आदि को अपनाने की जरूरत है । मृदा नमूना की जांच के उपरांत संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें । इससे उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से बचा जा सकता है । मृदा नमूना जांच की संस्तुति के अनुसार संतुलित उर्वरकों का प्रयोग किया जाये । फसल की पराली जलाने से मृदा की उर्वरता कम हो जाती है । खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले गंधक एवं अन्य पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं , साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है । फसल की पराली को जलाने के बजाय इसका प्रबंधन करना अति आवश्यक है । फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वेस्ट डिकंपोजर का प्रयोग का प्रयोग किया जाए । डॉक्टर मनोज कुमार सिंह उद्यान वैज्ञानिक ने औद्यानिक फसलों, सब्जी की खेती, केला की खेती में फसल अवशेष की कंपोस्ट खाद बनाकर प्रयोग करने की सलाह दी । उन्होंने बताया कि केला फसल की कटाई के उपरांत इसके तने के रेशे से दरी चटाई आदि बनाई जा सकती है । डॉक्टर ज्ञानदीप गुप्ता मत्स्य वैज्ञानिक ने बताया कि मृदा के साथ-2 जल का संरक्षण करना अति आवश्यक है । फसल की पराली जलाने से खेत में संरक्षित मृदा नमी जलकर नष्ट हो जाती है । फसल अवशेष का प्रबंधन करें । फसल अवशेष को फसलों के बीच खाली जगह में पलवार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है । इससे खरपतवारों का जमाव नहीं होता है, साथ ही मृदा नमी संरक्षित रहती है, जिससे काफी दिनों तक सिंचाई नहीं करनी पड़ती है । इस अवसर पर राजेश कुमार वर्मा, रामसागर वर्मा, छीटन प्रसाद यादव, युवराज यादव, श्रीमती गीता चौधरी, जगन्नाथ प्रसाद वर्मा, शिव शंकर वर्मा आदि ने प्रतिभाग कर मृदा एवं जल संरक्षण की तकनीकी जानकारी प्राप्त की ।
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