आनंद गुप्ता
रायबरेली महराजगंज: अन्तर्राष्ट्रीय एड्स दिवस के अवसर पर विद्या भारती विद्यालय स्वदेश सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज महराजगञ्ज रायबरेली में भैया बहनों को इस भयानक जानलेवा संलक्षण के बारे में जानकारी दी गई। माँ वीणापाणि की वन्दना के पश्चात प्रधानाचार्य वीरेन्द्र वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि एड्स की प्रथम जानकारी 1981 में हुई खोजकर्ता लुक मोण्टेगनियर ने की इसके लिए इन्हें सन् 2008 में नोबल पुरस्कार दिया गया।
एड्स वास्तव में एक ऐसा संलक्षण है जिसके कारण संक्रमित शरीर में अनेकों बीमारियां आ जाती हैं । एच आई वी (HIV) संक्रमण के कई वर्ष बाद एड्स का पता चलता है इसके बारे में कहा जाता है कि एडस् की जानकारी ही बचाव है। एच आई वी मानव शरीर में चार तरीकों से पहुंच कर संक्रमित करता है
•पहला संक्रमित इंजेक्शन द्वारा,
•दूसरा संक्रमित रक्त आधान द्वारा
• तीसरा अति कामुक व्यक्तियों द्वारा और
•चौथा व अन्तिम संक्रमित मां से उसके होने वाले बच्चों में।
क्योंकि अभी तक इस विषाणु जनित संलक्षण का कोई उचित समाधान नहीं मिला है। अब तक इस व्याधि से लगभग तीस करोड़ से अधिक व्यक्ति अपनी जान गवां चुके हैं। भारतीय संस्कृति के मानक पर जीवन जीने वाले व्यक्तियों में इसका संक्रमण नहीं होता। ऐसे संलक्षण पाश्चात्य संस्कृति से ही पनपते हैं अतः सनातन संस्कृति के आधार पर चलने वाली जीवन शैली हम सभी के बचाव का आधार है। इसका संक्रामक विषाणु शरीर को कैसे संक्रमित करता है किशोरावस्था में ऐसी जानकारी अनिवार्य है।
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